पुरुलिया के किसानों की आजीविका में सुधार के लिए पशुधन एवं मशरूम उत्पादन आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली को बढ़ावा

पुरुलिया के किसानों की आजीविका में सुधार के लिए पशुधन एवं मशरूम उत्पादन आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली को बढ़ावा

15 मार्च, 2024, हटिनाडा, अजोध्या हिल्स, पुरुलिया

पूर्वी क्षेत्र के लिए भाकृअनुप-अनुसंधान परिसर, पटना ने विवेकानंद विकास केन्द्र, कालीमाटी, पुरुलिया के सहयोग से जनजातीय उप-योजना के तहत संस्थान के प्रमुख विस्तार कार्यक्रम 'प्रयास' के हिस्से के रूप में एक क्षमता निर्माण-सह-किसान-वैज्ञानिक बातचीत कार्यक्रम का आयोजन 13 से 15 मार्च, 2024 तक पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में अयोध्या पहाड़ियों के एक गाँव हतिनाद में किया। पुरुलिया का पठारी क्षेत्र पानी की कमी, गुणवत्ता वाले बीज और रोपण सामग्री की अनुपलब्धता और किसान कौशल की कमी तथा निम्न क्षमता जैसी बड़ी चुनौतियों का सामना करता रहा है। किसानों ने एक संवाद कार्यक्रम के दौरान वैज्ञानिकों तथा जानकार व्यक्तियों के साथ अपने विचार साझा किए, जिसमें ‘आत्मा’ के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

Livestock & mushroom-integrated farming system promoted for livelihood improvement of Purulia farmers

भाकृअनुप आरसी-ईआर, पटना के निदेशक, डॉ. अनुप दास ने किसानों को टीएसपी कार्यक्रम और इसके उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। उन्होंने किसानों की आजीविका, साल भर की आय तथा रोजगार में सुधार के लिए मशरूम, पशुपालन (विशेष रूप से मुर्गी पालन), फल एवं बहुउद्देशीय पेड़ तथा बाजरा जैसे कम पानी की आवश्यकता वाले घटकों पर जोर दिया। डॉ. दास ने आगे कहा कि गांव तीन वर्षों से किसानों, विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए एक एकीकृत कृषि प्रणाली अपना रहा है। इस प्रणाली में आजीविका में सुधार के लिए प्रशिक्षण और इनपुट शामिल हैं। गांव की मिट्टी में सुधार कार्यक्रम के रूप में वर्मीकम्पोस्टिंग तथा आय सृजन के लिए बैकयार्ड मुर्गी पालन को भी बढ़ावा दे रहा है। किसानों को पोषण और आय के लिए अपने बैकयार्ड में फल उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। दालों को सस्ते प्रोटीन स्रोत के रूप में तथा मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए इसका उत्पादन करने का सुझाव दिया जाता है।

डॉ. अरुण कुमार सिंह, प्रमुख, कृषि प्रणाली अनुसंधान केन्द्र, पहाड़ी तथा पठारी क्षेत्र, रांची ने किसानों को बाजार में बेहतर कीमत पाने के लिए बरसात के मौसम में टमाटर उगाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बैंगन, स्पंज गार्ड, रिज गार्ड, बॉटल गार्ड, कद्दू और ऐश गार्ड जैसी सब्जियां इस क्षेत्र के लिए उपयुक्त हैं। उन्होंने कहा कि अधिक आय और पोषण के लिए साल भर सब्जी की खेती का क्रम अपनाने की जरूरत है।

कार्यक्रम के दौरान विवेकानंद विकास केन्द्र, कालामाटी, पुरुलिया के सचिव, श्री ए. भट्टाचार्जी भी उपस्थित थे।

लगभग 62 महिला किसानों को स्टार्टर फीड के साथ उच्च गुणवत्ता वाले चूजे उपलब्ध कराए गए। कार्यक्रम के तहत किसानों को अनुकूलित पोल्ट्री पिंजरे (16 संख्या) और दो मशरूम उत्पादन घर (स्थानीय सामग्रियों से बने) भी प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त, प्लास्टिक बाड़ लगाने वाले जाल, पोल्ट्री ड्रिंकर, फीडर, बड़ी बनाने के लिए मिक्सर ग्राइंडर, स्प्रेयर, तराजू, सब्जियों के बीज (टमाटर, स्पंज लौकी, बैंगन, सेम, भिंडी, आदि), मशरूम पैकेजिंग सामग्री, मशरूम स्पॉन, पोल्ट्री के लिए दवाएं और भाग लेने वाले किसानों को मवेशी आदि भी प्रदान किए गए।

कार्यक्रम में 250 से अधिक किसानों ने भाग लिया, जिनमें अधिकांश महिला किसान थीं।

(स्रोत: भाकृअनुप-पूर्वी क्षेत्र अनुसंधान परिसर, बिहार)

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