फार्मर फर्स्ट परियोजना की वार्षिक समीक्षा कार्यशाला का आयोजन

फार्मर फर्स्ट परियोजना की वार्षिक समीक्षा कार्यशाला का आयोजन

20 नवंबर, 2023, पुणे

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन-आठवीं, पुणे ने आज भाकृअनुप-अटारी पुणे में 'फार्मर फर्स्ट प्रोजेक्ट की वार्षिक समीक्षा कार्यशाला' का आयोजन किया।

Annual Review Workshop of Farmer FIRST Project  Annual Review Workshop of Farmer FIRST Project

डॉ. के.डी. कोकाटे, पूर्व उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यशाला का उद्घाटन किया। उन्होंने फार्मर फर्स्ट परियोजना की उत्पत्ति पर व्यावहारिक दृष्टिकोण साझा किए। डॉ. कोकाटे ने इस बात पर जोर दिया कि परियोजना के तहत धन का उपयोग नवीन गतिविधियों के लिए किया जाना चाहिए; और आय-सृजन एवं अभिसरण गतिविधियों, जैसे- पशुधन, मत्स्य पालन और कृषि उत्पादन से संबन्धित तालाबों जैसी आय सृजन विधि को सरकारी योजनाओं के साथ जोड़कर अपनाया जाना चाहिए।

सम्मानित अतिथि, डॉ. आर.आर. बर्मन, सहायक महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने आग्रह किया कि प्रत्येक एफएफपी केन्द्र में कम से कम 1000 कृषि परिवारों को कवर किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि परियोजना के संसाधनों का 75 प्रतिशत अध्ययन के तहत चयनित नए समूहों में, और 25 प्रतिशत पुराने समूहों में उपयोग किया जाना चाहिए। डॉ. बर्मन ने जोर देकर कहा कि प्रत्येक एफएफपी केन्द्र को सभी प्रौद्योगिकी मॉड्यूल लागू करने चाहिए तथा चयनित एवं आस-पास के गांवों में इसके प्रभाव का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए।

डॉ. एस.के. रॉय, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी ने तीन एफएफपी केन्द्रों यथा- महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ (एमपीकेवी), राहुरी, नवसारी कृषि विश्वविद्यालय, नवसारी तथा जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय (जेएयू), जूनागढ़ की प्रमुख उपलब्धियों पर जोर दिया। उन्होंने क्षेत्र की फार्मर फर्स्ट परियोजना के तहत ज्यादा केन्द्रों के स्थापना की आवश्यकता पर जोर दिया।

कार्यशाला के दौरान भाकृअनुप-अटारी, पुणे के कर्मचारियों के साथ-साथ एमपीकेवी, राहुरी, एनएयू, नवसारी और जेएयू, जूनागढ़ एफएफपी केन्द्रों से लगभग 20 प्रतिभागी उपस्थित हुए।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन-VIII, पुणे)

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