राज-हिमानी: जमे हुए वीर्य तथा भ्रूण स्थानांतरण प्रौद्योगिकियों के संयोजन के माध्यम से उत्पादित भारत का पहला घोड़े का बच्चा

राज-हिमानी: जमे हुए वीर्य तथा भ्रूण स्थानांतरण प्रौद्योगिकियों के संयोजन के माध्यम से उत्पादित भारत का पहला घोड़े का बच्चा

4 अक्टूबर 2023, बीकानेर

भ्रूण स्थानांतरण के माध्यम से घोड़े के बच्चे के उत्पादन में अपनी सफलता को जारी रखते हुए, अश्व उत्पादन परिसर, क्षेत्रीय स्टेशन, भाकृअनुप-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र (एनआरआरसी), बीकानेर, राजस्थान के वैज्ञानिकों ने देश में पहली बार दो प्रौद्योगिकियों के मिश्रण, यथा- जमे हुए वीर्य प्रौद्योगिकी और भ्रूण स्थानांतरण प्रौद्योगिकी का उपयोग करके घोड़े का बच्चा पैदा किया है।

Raj-Himani: India’s First horse foal produced through the combination of frozen semen and Embryo transfer technologies

व्यवहार्य भ्रूण के उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान, एक घोड़े के जमे हुए वीर्य का उपयोग कृत्रिम गर्भाधान के लिए किया गया था और भ्रूण को ओव्यूलेशन के 7.5 वें दिन गर्भाधान घोड़ी से बरामद किया गया था। फ्लशिंग के बाद बरामद भ्रूण को एस्ट्रस-सिंक्रोनाइज्ड सरोगेट घोड़ी में स्थानांतरित कर दिया गया। घोड़ी ने 4 अक्टूबर, 2023 को सुबह 3:40 बजे (भारतीय समय अनुसार) एक स्वस्थ मादा बच्चे को जन्म दिया। जन्म के समय बच्चे का वजन 35 किलोग्राम था। इन सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से विकसित इस बछड़े को 'राज-हिमानी' नाम दिया गया है।

Raj-Himani: India’s First horse foal produced through the combination of frozen semen and Embryo transfer technologies

इस तकनीक का उपयोग विशिष्ट जर्मप्लाज्म के तेजी से गुणन और लुप्तप्राय घोड़ों या मूल्यवान/ वांछित अश्व जर्मप्लाज्म के पुनरुत्थान के लिए किया जा सकता है। बछेड़े के उत्पादन में वीर्य क्रायोप्रिजर्वेशन और भ्रूण स्थानांतरण तकनीक के संयोजन से किसानों, रेसिंग, खेल तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल अश्व पालकों को अपने स्वयं के विशिष्ट घोड़ों का प्रजनन संबंधी विकारों वाले विशिष्ट जानवरों की नकल करने में बहुत लाभ होगा।

डॉ. टी.के. भट्टाचार्य, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र ने कहा कि भारत में अश्वों की आबादी तेजी से घट रही है साथ ही बांझपन और गैर-प्रजनन घोड़ी भी इसका एक कारण है। उन्होंने कहा कि यह तकनीक उन जानवरों पर भी लागू की जा सकती है जो पारंपरिक बांझपन उपचार व्यवस्थाओं का कोई रिजल्ट नहीं देते।

डॉ. एस.सी. मेहता, प्रमुख, क्षेत्रीय स्टेशन, अश्व उत्पादन परिसर, भाकृअनुप-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर ने कहा कि प्रौद्योगिकी का देश में उत्कृष्ट स्वदेशी घोड़ों के संरक्षण एवं प्रसार पर जबरदस्त प्रभाव पड़ेगा।

क्रायोप्रिजर्व्ड वीर्य का उपयोग करके इस भ्रूण स्थानांतरण बछेड़े को आईसीएआर-एनआरसी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. टीआर टालुरी और उनकी टीम (डॉ. यश पाल, डॉ. एस.सी. मेहता, डॉ. आर.ए. लेघा, डॉ. आर.के. डेडार, डॉ. सज्जन कुमार, डॉ. जितेन्द्र सिंह, श्री पासवान एवं अन्य) द्वारा विकसित किया गया था।

(स्रोत: अश्व उत्पादन परिसर, भाकृअनुप-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर, राजस्थान, भारत)

×