19 मार्च, 2024, करनाल
भाकृअनुप-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने आज संस्थान प्रौद्योगिकी प्रबंधन इकाई के तहत 'सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण के लिए प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और इंटरफ़ेस बैठक' का आयोजन किया।
डॉ. एस.के. मल्होत्रा, कुलपति, महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल और डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईडब्ल्यूबीआर, करनाल मुख्य अतिथि के रूप में इस अवसर पर उपस्थित थे।
डॉ. मल्होत्रा ने भाकृअनुप-आईआईडब्ल्यूबीआर बीज मॉडल पर जोर दिया तथा प्रतिभागियों से गेहूं एवं जौ के बीज उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार करने का आग्रह किया। उन्होंने बीज उत्पादन तथा बीज प्रमाणीकरण के लिए बहु-राज्य सहकारी समितियों को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया, भाकृअनुप-आईआईडब्ल्यूबीआर किस्मों की दृश्यता एवं मजबूत सार्वजनिक-निजी क्षेत्र के सहयोग के कारण बीज प्रतिस्थापन दरों में सुधार पर प्रकाश डाला। डॉ. मल्होत्रा ने जलवायु परिवर्तन और सीमा पार रोगों से उत्पन्न चुनौतियों तथा जलवायु-अनुकून किस्मों को विकसित करने के लिए आईआईडब्ल्यूबीआर, करनाल के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बीज उत्पादकों को भाकृअनुप-आईआईडब्ल्यूबीआर किस्मों तथा भविष्य की साझेदारियों का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
डॉ. सिंह ने संस्थान द्वारा विकसित गेहूं की नवीनतम किस्मों को तेजी से लोकप्रिय बनाने के लिए बीज उत्पादकों के समर्थन और प्रयासों को स्वीकार किया। उन्होंने बीज क्षेत्र में उद्यमिता विकास की आवश्यकता पर भी बल दिया।
राष्ट्रीय ब्रीडर बीज इंडेंट में भाकृअनुप-आईआईडब्ल्यूबीआर किस्मों की हिस्सेदारी 45% है, जो किसानों के बीच संस्थान की किस्मों की मांग को रेखांकित करती है।
बैठक में कुल 50 निजी बीज कंपनी के प्रतिनिधि, 40 प्रगतिशील किसान और पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसान-उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल)
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