पूर्वी गोदावरी, आंध्र प्रदेश, 17 अप्रैल, 2012
केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सी.एम.एफ.आर.आई.) ने भारतीय जलजीव पालन में मत्स्य की नई प्रजातियों की श्रृंखला में सिल्वर पोम्पेनो का सफलतापूर्वक प्रजनन किया है। इस बहुमूल्य मछली का सफलतापूर्वक प्रजनन केवल कुछ ही देशों में किया जाता है और पूरे विश्व में इसका उत्पादन लगभग 300 टन है। लार्वा के सफल पालन के पश्चात अगस्त 2011 के अंतिम सप्ताह में सड़क परिवहन द्वारा तमिलनाडु में रामेश्वरम् के नजदीक मंडापम से 1200 कि.मी. की दूरी पर आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के अंतर्वेदी ले जाकर एक एकड़ के जलाशय में इन्हें एकत्र किया गया। लगभग 3600 बीज स्टॉक करके देशी पैलेट आहार दिया गया और अच्छे जलाशय वातावरण में रखने पर 95 प्रतिशत से ज्यादा जीवितता रही। इस पैलेट आहार की रूपांतरण दर 1:1.8 रही। आठ माह के बाद इनका भार 450-550 ग्रा. हो गया। यह भार बाजार भाव के हिसाब से उत्कृष्ट टेबल साइज है। यह मछली 5 पीपीटी से 35 पीपीटी तक अत्यधिक लवणीयता के प्रति सहनशील है और सभी आहार तलों पर रह सकती है। कर्नाटक मात्स्यिकी विकास कार्पोरेशन ने बेंगलुरू में इसकी मार्केटिंग शुरू की है। वहां इसे अमेरीकन प्रोमफ्रेट कहते हैं। साल में इसका दो बार उत्पादन होता है, एक हैक्टर में लगभग 12,000 बीज स्टॉक कर सकते हैं और एक बार में लगभग 5 टन मछली का उत्पादन होता है।
सिल्वर पोम्पेनो स्वाद और देखने में सिल्वर प्रोमफ्रेट की तरह है और इसका मूल्य 200रु./कि.ग्रा. है। समुद्र में कभी-कभार पाई जाने वाली यह बहुमूल्य मछली है। संस्थान द्वारा इन्हें छोटी अवस्था में एकत्र करके, परिपक्वता तक पालन किया गया और हार्मोन देकर सफलतापूर्वक बीजाणु लिये गये। भारत में समुद्र से पकड़ी गयी इस बहुमूल्य मछली की उपलब्धता 2 टन प्रतिवर्ष है। सभी महानगरों में इसकी बेहद मांग हैं। अप्रैल से जुलाई तक इसकी मांग लगभग 2 लाख टन है और इसके अच्छे दाम भी मिलते हैं। इस संदर्भ में सिल्वर पोम्पेनो का उत्पादन सी.एम.एफ.आर.आई. द्वारा प्रजनित अन्य समुद्री मछलियों के मुकाबले अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे लाखों एकड़ बंजर तटीय लवणीय तलाऊं भूमि में इस कीमती मछली का उत्पादन हो सकेगा, जिससे देश के खाद्य उत्पादन और पोषण स्तर में सुधार होगा।
17 अप्रैल, 2012 को आंध्र प्रदेश के तटीय जिलों के लगभग 300 अग्रणी जल जीव पालकों, स्थानीय सांसद और प्रैस एवं इलैकट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधियों के समक्ष मत्स्य उत्पादन का प्रदर्शन किया गया।
(स्रोतःकेंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, पूर्वी गोदावरी, आंध्र प्रदेश)
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