शीतकालीन प्रशिक्षण - शुष्‍क फल व सब्‍जी फसलों के व्‍यावसायीकरण का आधुनिक दृष्टिकोण पर शीतकालीन प्रशिक्षण आरंभ हुआ।

शीतकालीन प्रशिक्षण - शुष्‍क फल व सब्‍जी फसलों के व्‍यावसायीकरण का आधुनिक दृष्टिकोण पर शीतकालीन प्रशिक्षण आरंभ हुआ।

01 फरवरी,2023 बीकानेर

भाकृअनुप- केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर के तत्वावधान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित 21 दिवसीय शीतकालीन प्रशिक्षण ‘‘शुष्‍क फल व सब्‍जी फसलों के व्‍यावसायीकरण का आधुनिक दृष्टिकोण‘‘ आज आरंभ हुआ।

इस प्रशिक्षण में उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब, गुजरात आसाम, आंध्रप्रदेश और राजस्थान सहित देश के विभिन्न राज्यों में स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों, राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों के 28 कृषि वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं।

शीतकालीन-प्रशिक्षण-01प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र के मुख्य अति‍थि के रूप में बोलते हुए स्‍वामी केशवानंद राजस्‍थान कृषि विश्‍वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरूण कुमार ने कहा कि शुष्‍क बागवानी एक महत्‍वपूर्ण विषय है और इसके अंतर्गत अनेक फल एवं सब्‍जी फसलें आती हैं जिनसे किसानों को वर्षभर आय होती है। इस महत्‍वपूर्ण विषय पर प्रशिक्षण पाने देश के विभिन्‍न राज्‍यों से आए कृषि वैज्ञानिक नया ज्ञान प्राप्‍त कर अपने क्षेत्रों में इसे सुदृढ़ बनाने में सफल होंगे।

संस्थान के निदेशक डॉ. जगदीश राणे ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण आज के परिपेक्ष में अति महत्व का है। शुष्‍क बागवानी की नवीन तकनीकियों के माध्‍यम से फलों एंव सब्जियों के व्‍यावसायीकरण में सहायता मिलेगी।

इस प्रकार के प्रशिक्षण नव तकनीकियों को प्रसारित करने के लिए आवश्यक होते हैं। उन्‍होंने प्रशिक्षण के प्रतिभागियों से कहा कि आप यहां से अर्जित ज्ञान को देश के विभिन्‍न क्षेत्रों में लेकर जाएं और किसानों को इसके लाभ के बारे में बाताएं।

अतिथि के रूप में बोलते हुए संस्थान के फसल सुधार विभाग के अध्‍यक्ष डॉ. दिलीप कुमार समादिया ने इस संस्‍थान की स्‍थापना और इतिहास के बारे में विस्‍तार से बताया। उन्‍होंने कहा कि शुष्‍क क्षेत्रीय फल जैसे बेर, अनार, खजूर, आंवला, बेल तथा इस क्षेत्र की परम्परागत सब्जियां जैसे- सांगरी, केर, कूमठ, काचरी, फूट ककड़ी, लोईया, ग्वारफरी, टिण्डा, तुम्बा, आदि महत्वपूर्ण सब्जियां हैं जिनका विकास एवं सुधार कर इस संस्‍थान ने कई प्रजातियां विकसित की हैं जो किसानों के मध्‍य बहुत लोकप्रिय हैं।

तकनीकियों के माध्‍यम से शुष्‍क फल व सब्‍जी फसलों को व्यावसायिक स्तर पर आगे बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने बागवानी फसलों में पाये जाने वाली औषधीय महत्व की फसलों के विकास एवं उन्नति की आवश्यकता पर बल दिया।

उद्घाटन सत्र में प्रगतिशील किसान, एसकेआरएयू के अधिकारी, भाकृअनुप के बीकानेर में स्थित केन्द्रों के अध्यक्ष एवं अन्य वैज्ञानिक भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. धुरेन्‍द्र सिंह अध्यक्ष, फसल उत्पादन विभाग ने आगन्तुकों का आभार व्यक्त करते हुए उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया।

(भाकृअनुप- केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर)

01 फरवरी,2023 बीकानेर

भाकृअनुप- केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर के तत्वावधान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित 21 दिवसीय शीतकालीन प्रशिक्षण ‘‘शुष्‍क फल व सब्‍जी फसलों के व्‍यावसायीकरण का आधुनिक दृष्टिकोण‘‘ आज आरंभ हुआ।

इस प्रशिक्षण में उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब, गुजरात आसाम, आंध्रप्रदेश और राजस्थान सहित देश के विभिन्न राज्यों में स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों, राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों के 28 कृषि वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं।

प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र के मुख्य अति‍थि के रूप में बोलते हुए स्‍वामी केशवानंद राजस्‍थान कृषि विश्‍वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरूण कुमार ने कहा कि शुष्‍क बागवानी एक महत्‍वपूर्ण विषय है और इसके अंतर्गत अनेक फल एवं सब्‍जी फसलें आती हैं जिनसे किसानों को वर्षभर आय होती है। इस महत्‍वपूर्ण विषय पर प्रशिक्षण पाने देश के विभिन्‍न राज्‍यों से आए कृषि वैज्ञानिक नया ज्ञान प्राप्‍त कर अपने क्षेत्रों में इसे सुदृढ़ बनाने में सफल होंगे।

संस्थान के निदेशक डॉ. जगदीश राणे ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण आज के परिपेक्ष में अति महत्व का है। शुष्‍क बागवानी की नवीन तकनीकियों के माध्‍यम से फलों एंव सब्जियों के व्‍यावसायीकरण में सहायता मिलेगी।

इस प्रकार के प्रशिक्षण नव तकनीकियों को प्रसारित करने के लिए आवश्यक होते हैं। उन्‍होंने प्रशिक्षण के प्रतिभागियों से कहा कि आप यहां से अर्जित ज्ञान को देश के विभिन्‍न क्षेत्रों में लेकर जाएं और किसानों को इसके लाभ के बारे में बाताएं।

अतिथि के रूप में बोलते हुए संस्थान के फसल सुधार विभाग के अध्‍यक्ष डॉ. दिलीप कुमार समादिया ने इस संस्‍थान की स्‍थापना और इतिहास के बारे में विस्‍तार से बताया। उन्‍होंने कहा कि शुष्‍क क्षेत्रीय फल जैसे बेर, अनार, खजूर, आंवला, बेल तथा इस क्षेत्र की परम्परागत सब्जियां जैसे- सांगरी, केर, कूमठ, काचरी, फूट ककड़ी, लोईया, ग्वारफरी, टिण्डा, तुम्बा, आदि महत्वपूर्ण सब्जियां हैं जिनका विकास एवं सुधार कर इस संस्‍थान ने कई प्रजातियां विकसित की हैं जो किसानों के मध्‍य बहुत लोकप्रिय हैं।

तकनीकियों के माध्‍यम से शुष्‍क फल व सब्‍जी फसलों को व्यावसायिक स्तर पर आगे बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने बागवानी फसलों में पाये जाने वाली औषधीय महत्व की फसलों के विकास एवं उन्नति की आवश्यकता पर बल दिया।

उद्घाटन सत्र में प्रगतिशील किसान, एसकेआरएयू के अधिकारी, भाकृअनुप के बीकानेर में स्थित केन्द्रों के अध्यक्ष एवं अन्य वैज्ञानिक भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. धुरेन्‍द्र सिंह अध्यक्ष, फसल उत्पादन विभाग ने आगन्तुकों का आभार व्यक्त करते हुए उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया।

(भाकृअनुप- केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर)

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