स्कैम्पी रिटर्न्स: पीएमएमएसवाई के तहत भाकृअनुप-सीफा भारत में स्कैम्पी खेती को पुनर्जीवित करने के लिए तैयार

स्कैम्पी रिटर्न्स: पीएमएमएसवाई के तहत भाकृअनुप-सीफा भारत में स्कैम्पी खेती को पुनर्जीवित करने के लिए तैयार

भारत में स्कैम्पी खेती का पुनर्जागरण होने वाला है क्योंकि प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) योजना, एक बार पुनः, कभी फलने-फूलने वाले इस उद्योग को पुनर्जीवित करने पर केन्द्रीत है। हाल के वर्षों में स्कैम्पी क्षेत्र में काफी गिरावट की प्रवृत्ति देखी गई है इसलिए इस क्षेत्र से जुड़े स्कैम्पी किसानों के तकदीर को बदलने और जलीय कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने की दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ, पीएमएमएसवाई स्कैम्पी खेती में नई जान फूंकने के लिए तैयार है।

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भाकृअनुप-केन्द्रीय मीठाजल जल जीव पालन संस्थान (सीफा) के अग्रणी अनुसंधान के परिणामस्वरूप सीफा-जीआई स्कैम्पी® का विकास हुआ है, जो मीठे पानी के झींगा मैक्रोब्रैचियम रोसेनबर्गी की आनुवंशिक रूप से बेहतर नस्ल है। यह सफलता स्कैम्पी उत्पादकता और लाभप्रदता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हुई है। 2007 में, भाकृअनुप-सीफा ने स्कैंपी की तेजी से बढ़ती नस्ल को विकसित करने के लिए एक व्यवस्थित चयनात्मक प्रजनन कार्यक्रम को लागू करने के लिए वर्ल्डफिश, मलेशिया के साथ एक सहयोगात्मक प्रयास शुरू किया। प्रजनन कार्यक्रम 14 पीढ़ियों तक चला और इसमें गुजरात, केरल और ओडिशा सहित भारत के भौगोलिक रूप से विविध क्षेत्रों से प्राप्त स्कैंपी आबादी का सावधानीपूर्वक चयन शामिल था। कठोर आनुवंशिक चयन प्रोटोकॉल के माध्यम से, भाकृअनुप-सीफा सीफा-जीआई स्कैम्पी®  नामक आनुवंशिक रूप से बेहतर तेजी से बढ़ने वाली प्रजाति को सफलतापूर्वक विकसित किया, साथ ही 2020 में आधिकारिक पंजीकरण प्राप्त हुआ, जो जलीय कृषि के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ है।

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अपने बहुआयामी दृष्टिकोण के माध्यम से, पीएमएमएसवाई कृषि पद्धतियों को बढ़ाने, आधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपनाने को प्रोत्साहित करने, क्षमता निर्माण और कौशल विकास सुनिश्चित करने, कृषि स्थापना तथा बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने एवं भारत में जलीय कृषि क्षेत्र की समग्र वृद्धि एवं समृद्धि को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। पीएमएमएसवाई ने आनुवंशिक चयन कार्यक्रम को बेहतर बनाने और मल्टीप्लायर हैचरी के नेटवर्क में बेहतर ब्रूडस्टॉक की आपूर्ति के माध्यम से बीज मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने के लिए भाकृअनुप-सीफा को 4 करोड़ रुपये की फंडिंग सहायता दी है।

डॉ. बी.आर. पिल्लई, पीएमएमएसवाई स्कैम्पी परियोजना के प्रधान अन्वेषक ने कहा कि 'इस बीच, भाकृअनुप-सीफा कार्प संस्कृति के साथ स्कैंपी के पॉलीकल्चर का भी प्रदर्शन कर रहा है। जिसका परिणाम है कि कई प्रदर्शनों में से एक, ओडिशा के जाजपुर जिले के श्री बाटा कृष्णा जेना ने भी असाधारण परिणाम दर्ज किए हैं, जिससे केवल सात महीनों में 950 किलोग्राम/ हेक्टेयर 'सीफा-जीआई स्कैंपी' और 7530 किलोग्राम/ हेक्टेयर कार्प पैदा हुए हैं। यह कदम कार्प-स्कैम्पी पॉलीकल्चर की सफलता और क्षमता का उदाहरण है, जो राज्य भर के मछली किसानों के लिए आशाजनक अवसर प्रदान करता है।

'देश में स्कैंपी उत्पादन में 2.5 गुना की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो पिछले वर्ष 8,303 टन की तुलना में बढ़कर 21,317 टन हो गया है। यह उल्लेखनीय प्रगति देश भर में स्कैंपी उत्पादन में वृद्धि की संभावना को इंगित करती है। इस तरह तेजी से विस्तार का समर्थन करने के लिए, भाकृअनुप-सीफा द्वारा पांच स्कैंपी हैचरी को मल्टीप्लायर हैचरी के रूप में चुना गया है। ये हैचरियां सीफा-जीआई स्कैम्पी® बीजों का उत्पादन करने और इस बीच किसानों को आपूर्ति करने के लिए जिम्मेदार हैं।

डॉ. पी.के. साहू, निदेशक, भाकृअनुप-सीफा ने कहा, "हम 202 तक 25000 हेक्टेयर को स्कैंपी के तहत लाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपने नेटवर्क में और अधिक हैचरी जोड़ रहे हैं।"

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय मीठाजल जल जीव पालन संस्थान)

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