20 मार्च, 2023, विशाखापत्तनम
भाकृअनुप-सीएमएफआरआई के विशाखापत्तनम क्षेत्रीय केन्द्र में डॉ. ए. गोपालकृष्णन, निदेशक, भाकृअनुप-सीएमएफआरआई द्वारा भाकृअनुप-केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) की स्वदेशी रूप से विकसित रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) राष्ट्र को समर्पित किया गया। आरएएस एक ऐसी प्रणाली है जिसमें पानी के न्यूनतम उपयोग और कुशल प्रबंधन व्यवस्था के साथ नियंत्रित परिस्थितियों में समुद्री फिनफीस मछली पालन के लिए उपयोगी है।
यह पहली बार है कि औसत 0.5 ग्राम आकार के मछली के बीज पालन के लिए आरएएस को स्वदेशी रूप से विकसित और मानकीकृत किया गया है।
भाकृअनुप-सीएमएफआरआई के विशाखापत्तनम क्षेत्रीय केन्द्र में पूरी तरह से विकसित और मानकीकृत, यह आरएएस प्रणाली भारतीय समुद्री संवर्धन के लिए किफायती है क्योंकि यह केवल 11.20. रु. में 12 ग्राम मछली के बीज का उत्पादन कर सकती है। इससे पहले ब्रूडस्टॉक विकास और प्रजनन के लिए केन्द्र में एक आरएएस प्रणाली विकसित की गई थी जिसमें उपयोग किए गए पानी को पुन: परिचालित करके किया गया था, जिससे इस बहुमूल्य संसाधन की बर्बादी कम ङुई थी।
डॉ. गोपालकृष्णन ने कहा कि यह देश में समुद्री संवर्धन अनुसंधान में एक बड़ी सफलता है और इससे उद्यमियों के लिए इस क्षेत्र में निवेश करने का मार्ग प्रशस्त होगा। इसके अलावा, मछली पालक किसानों, छात्रों और उद्यमियों को इस सुविधा का उपयोग करके भारतीय पोम्पानो के नर्सरी पालन पर भाकृअनुप-सीएमएफआरआई के विशाखापत्तनम आरसी द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किए जा रहे हैं, आरएएस प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी कि उत्पादन बढ़ाने के लिए भविष्य में कुशल जनशक्ति उपलब्ध हो।
निदेशक ने विशाखापत्तनम क्षेत्रीय केन्द्र के नवनिर्मित किसान प्रशिक्षण छात्रावास इंडियन पोम्पानो का भी उद्घाटन किया। उन्होंने प्रकाशन और दो उत्पाद - कैडलमिन नान कॉन और भाकृअनुप-सीएमएफआरआई मरीन माइक्रोबियल कंसोर्टियम (एमएमसी) भी जारी किए।
इस प्रकार कैडलमिन नान कॉन एक स्वदेशी, नैनोक्लोरोप्सिस ओकुलता का पैकेज्ड कंसन्ट्रेट है जो रोटिफ़र्स के लिए एक महत्वपूर्ण फीड है जो लार्वा के लिए लाइव फीड के रूप में फ़िनफ़िश हैचरी के लिए अति आवश्यक है। इस उत्पाद की शेल्फ लाइफ 5 महीने है और इसे आवश्यकतानुसार पुनर्गठित किया जा सकता है। अन्य उत्पाद, भाकृअनुप-सीएमएफआरआई एमएमसी नर्सरी और ग्रो-आउट कल्चर सिस्टम में समुद्री पख मछली के लिए स्वदेशी रूप से विकसित मल्टी-स्ट्रेन प्रोबायोटिक इसके पूरक है। इसकी उच्च जीवाणुरोधी गतिविधि के कारण, यह समुद्री संवर्धित मछली में वृद्धि, उत्तरजीविता और आंतों के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है।
इस अवसर पर तीन समझौता ज्ञापनों - पहला, एमएसआर एक्वा प्रा. लिमिटेड भारतीय पोम्पानो के लिए ब्रूडस्टॉक विकास तथा बीज उत्पादन तकनीक के लिए और दूसरा, सुश्री रेवती बंडारू के साथ भारतीय पोम्पानो के समुद्री पिंजरे की खेती के लिए तकनीकी सेवाएं प्रदान करने के साथ ही साथ ज्ञान भागीदार के रूप में समुद्री शैवाल की खेती में तकनीकी सेवाएं प्रदान करने के लिए लया एनजीओ के साथ तीसरे, समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, कोच्चि)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें