19 मार्च, 2024, कानपुर
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन-III, कानपुर संस्थान के 16वें स्थापना दिवस समारोह का आज आयोजिन किया गया। कार्यक्रम के दौरान 'प्रकृति के साथ सामंजस्य (CoWiN-24): प्राकृतिक कृषि पद्धतियों के माध्यम से सतत खेती' विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया गया।
डॉ. यू.एस. गौतम, उप-महानिदेशक (एई), भाकृअनुप, ने ऑनलाइन मोड के माध्यम से कार्यक्रम में भाग लिया और कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र 21 मार्च, 2024 को 50 वर्ष पूरे कर रहे हैं, और इस अवसर पर, स्वर्ण जयंती कार्यक्रम पूरे वर्ष मनाया जाएगा।
मुख्य अतिथि, श्री अभय महाजन, संगठन सचिव, दीनदयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली ने कहा कि देश में कृषि विज्ञान केन्द्र का महत्व काफी बढ़ गया है साथ ही प्राकृतिक खेती ऐतिहासिक रूप से भारत की संस्कृति और परंपरा से जुड़ी हुई है। इसे पुनर्जीवित करने की जरूरत है और इस दिशा में किसानों, विस्तार विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं की भागीदारी काफी महत्वपूर्ण है।
उद्घाटन कार्यक्रम के अध्यक्ष, प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी, प्रति-कुलपति, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर ने कहा कि विश्वविद्यालय और भाकृअनुप-अटारी, कानपुर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने मिट्टी में जीवाश्म के महत्व को रेखांकित किया।
विशिष्ट अतिथि, डॉ. जी.पी. दीक्षित, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर, और डॉ. आर. विश्वनाथन, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ भी कार्यक्रम के दौरान उपस्थित रहे।
भाकृअनुप-अटारी, कानपुर के निदेशक, डॉ. शांतनु कुमार दुबे ने इस सेमिनार की पृष्ठभूमि के बारे में बात करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के 52 जिलों के केवीके में प्राकृतिक खेती परियोजनाएं हैं, जिनमें गंगा के किनारे के 26 जिले भी शामिल हैं। डॉ. दुबे ने आगे कहा कि भाकृअनुप-अटारी, कानपुर संस्थान, उत्तर प्रदेश के 89 कृषि विज्ञान केन्द्रों के लिए एक कार्य योजना विकसित करने, कार्यों की निगरानी और मूल्यांकन करने तथा केवीके के माध्यम से किसानों के खेतों पर नई तकनीकों का परीक्षण एवं प्रदर्शन कराने का काम करता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि केवीके एफपीओ बनाकर किसानों को संगठित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
इस अवसर पर चन्द्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर और भाकृअनुप-अटारी, कानपुर के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर एवं इसका आदान-प्रदान किया गया।
सेमिनार में प्राकृतिक खेती परियोजना के 52 केवीके के वैज्ञानिकों, किसानों, शोधकर्ताओं और छात्रों ने शिरकत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कानपुर)
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