संवर्धित समुद्री भोजन: भाकृअनुप-सीआईएफई द्वारा नवीन भोजन के लिए एक पहल

संवर्धित समुद्री भोजन: भाकृअनुप-सीआईएफई द्वारा नवीन भोजन के लिए एक पहल

16 जनवरी, 2024, मुंबई

भाकृअनुप-केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा अनुसंधान संस्थान (सीआईएफई), मुंबई ने उत्पादन योग्य समुद्री भोजन के विकास के लिए सेलुलर जलीय कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान करने की पहल की है।

भाकृअनुप के महानिदेशक, डॉ. हिमांशु पाठक ने सीआईएफई, मुंबई में नवीन अनुसंधान करने की मंजूरी दे दी है।

Cultivated Seafood: An Initiative for Novel Food by ICAR-CIFE

पिछले कुछ वर्षों में संवर्धित मांस के विकास का महत्व काफी बढ़ा है इसलिए संवर्धित मांस पर निवेश पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना हो गया है। इससे समुद्री खाद्य उत्पादन की दिशा में अधिक अनुसंधान और विकास की आवश्यकता बढ़ गई है। उत्पादित मांस को बाज़ार तक पहुंच प्रदान करने तथा वृद्धि के लिए अकादमिक शोध अपरिहार्य माना है। सेल्युलर एक्वाकल्चर दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण जलवायु अनुकूल खाद्य उत्पादन प्रणालियों में से एक के रूप में उभर रहा है। इसलिए, सेल्युलर जलीय कृषि को सुविधाजनक बनाने के लिए उपयुक्त मछली प्रजातियों के मांसपेशी के प्रकार में उचित विकास एवं लक्षण वर्णन समय की मांग है।

सीआईएफई, मुंबई गुड फूड इंस्टीट्यूट, यूएसए द्वारा वित्त पोषित "मछली की मांसपेशियों के इन विट्रो विभेदीकरण और लक्षण वर्णन और पूरे कटे हुए समुद्री भोजन के लिए पौधे-आधारित मंच पर अनुकूलन" नामक एक अंतरराष्ट्रीय परियोजना का नेतृत्व कर रहा है। इस परियोजना का नेतृत्व डॉ. एम. गोस्वामी, प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख, मछली जेनेटिक्स और जैव प्रौद्योगिकी प्रभाग, सीआईएफई, मुंबई ने किया है और यह पहली बार है कि किसी भारतीय वैज्ञानिक को सेलुलर जलीय कृषि पर शोध करने के लिए इस प्रकार का अंतर्राष्ट्रीय अनुदान प्राप्त हुआ है।

भाकृअनुप-मुंबई ने समुद्री खाद्य उत्पादों के व्यवसायीकरण के लिए दो उद्योगों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। 15 देशों के 24 विशेषज्ञों के एक समूह ने 1- 4 नवंबर, 2022 तक सिंगापुर गणराज्य में एकत्र हुए सेल-आधारित खाद्य पदार्थों से जुड़े खाद्य सुरक्षा खतरों की पहचान की। यूएनओ-एफएओ ने विशेषज्ञ आधारित परामर्श बैठक के लिए, डॉ. एम. गोस्वामी को एक विशेषज्ञ के रूप में मान्यता दी। डब्ल्यूएचओ के सहयोग से सिंगापुर में सेल आधारित खाद्य उत्पादों का आयोजन किया गया। "सत्रहवें" विशेषज्ञ परामर्श बैठक का वैश्विक प्रभाव, प्रयोगशाला में विकसित मांस की खपत के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीओ) की मंजूरी से देखा गया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा अनुसंधान संस्थान, मुंबई)

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