17 जनवरी, 2024 नई दिल्ली
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री अर्जुन मुंडा ने आज राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर तथा भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली में प्रायोगिक क्षेत्रों एवं सुविधाओं का दौरा किया।
श्री मुंडा ने भाकृअनुप-आईएआरआई, नई दिल्ली की विभिन्न सुविधाओं का दौरा किया। उन्होंने प्लांट फैक्ट्री-आधारित स्मार्ट इनडोर फसल खेती का भी दौरा किया। उन्होंने कृषि में सेंसर और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) के एकीकरण पर जोर दिया।
कृषि मंत्री ने उन्नत प्रौद्योगिकियों को वाणिज्यिक तथा शहरी उत्पादकों को हस्तांतरित करने का आग्रह किया। उन्होंने उच्च उत्पादकता और जलवायु लचीलेपन के लिए उचित तथा अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने में आईएआरआई के प्रयासों की सराहना की।
केन्द्रीय मंत्री ने 1 एकड़ क्षेत्र के आईएफएस मॉडल का दौरा किया जिसमें सब्जियों की पॉलीहाउस खेती (टमाटर, शिमला मिर्च और खीरे की खेती के लिए 600 वर्ग मीटर क्षेत्र), मशरूम उत्पादन (50 वर्ग मीटर क्षेत्र), कृषि-बागवानी प्रणाली (1200 वर्ग मीटर क्षेत्र), 2200 वर्ग मीटर क्षेत्र में मधुमक्खी पालन और सब्जियों, फूलों, अनाज, तिलहन तथा दालों की खुले मैदान में खेती शामिल थे। विभिन्न कृषि उद्यमों के बीच जैविक अवशेषों के पुनर्चक्रण का भी मिट्टी के स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।
श्री मुंडा ने सिंचित प्रणाली के लिए आईएफएस मॉडल का दौरा किया, जिसे वर्ष भर आय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक ही कृषि इकाई में कई उद्यमों (फसलों, पशुधन, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन इत्यादि) के एकीकरण की अवधारणा के साथ 01 हेक्टेयर सिंचित भूमि वाले कृषक परिवार के लिए रोजगार विकसित किया गया है। मॉडल की शुद्ध आय 4.16 लाख रुपये प्रति वर्ष थी, जिसमें पूरे वर्ष में 628 मानव दिवस शामिल थे। सबसे अधिक शुद्ध आय (1.81 लाख/ वर्ष) डेयरी (3 क्रॉसब्रीड गाय) उद्यम से प्राप्त हुई, उसके बाद फसलों (1.34 लाख) का स्थान रहा। मॉडल में दर्शाया गया कि फसल उद्यमों द्वारा कुल कार्बन अवशोषण 4448 किलोग्राम/ प्रति वर्ष था। फार्म डिज़ाइन टूल का उपयोग करके कार्बन चक्र मूल्यांकन से पता चलता है कि फसल उद्यमों से घरेलू और पशु तक कार्बन का कुल इनपुट क्रमशः 603 और 5555 किलोग्राम/ वर्ष था। फसल और पशुधन खाद से मिट्टी में कार्बन की मात्रा क्रमशः 256 और 1698 किलोग्राम/ प्रति वर्ष थी। मिट्टी में कार्बन का कुल संचय 1955 किलोग्राम प्रति वर्ष था, जो अंततः मिट्टी के कार्बनिक पदार्थ पूल को समृद्ध करता है।
उनकी यात्रा के दौरान उन्हें सटीक कृषि के लिए ड्रोन आधारित प्रौद्योगिकी तथा फसल क्षेत्रों की इमेजिंग के लिए एक क्षेत्र-आधारित रोबोट- पूसा फेनोमोबाइल का प्रदर्शन किया गया। केन्द्रीय मंत्री ने बाद में सरसों के खेतों का दौरा किया।
डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने परिसर में स्थित अंतरराष्ट्रीय संस्थानों सहित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर (एनएएससी) की सुविधाओं के बारे में जानकारी दी।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)
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