2 जनवरी, 2025, बैरकपुर
भाकृअनुप-केन्द्रीय जूट एवं संबद्ध रेशा अनुसंधान संस्थान ने आज जूट उत्पादक उद्योगों तथा हितधारकों की बैठक आयोजित की, ताकि फाइबर उत्पादन से लेकर बाजार, मूल्य श्रृंखला और निर्यात तक की निरंतरता बनाई जा सके।
मुख्य अतिथि, केन्द्रीय कपड़ा मंत्री, श्री गिरिराज सिंह ने संस्थान के दौरे के दौरान जूट क्षेत्र के हितधारकों से बातचीत की। उन्होंने संग्रहालय और प्रौद्योगिकी हॉल का दौरा किया, जिसमें जूट और संबद्ध रेशों से संबंधित सर्वोत्तम उत्पादन तकनीकों एवं उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। मंत्री ने इन महत्वपूर्ण फसलों की खेती को बढ़ाने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए हितधारकों के साथ बातचीत की।
इसके बाद उन्होंने विभिन्न प्रयोगशालाओं में चल रहे अनुसंधान और जैव प्रौद्योगिकी इकाई में उन्नत प्रजनन कार्यक्रम का दौरा किया। उन्होंने तीन महिलाओं को सम्मानित किया, जिन्हें लखपति दीदी के नाम से जाना जाता है, जो सालाना एक लाख से अधिक कमाती हैं और बीज और कृषि मशीनरी स्टॉल का दौरा किया, जहां जेएएफ बीज किस्मों और कृषि उपकरणों को प्रदर्शित किया गया था और अपने नेटवर्क परियोजनाओं के माध्यम से जेएएफ फसलों की 100 किस्मों को विकसित करने के लिए संस्थान की सराहना की।

कौशल विकास केन्द्र के अपने दौरे के दौरान, कपड़ा मंत्री ने प्रशिक्षुओं से उत्पाद मूल्य संवर्धन के लिए राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान से अतिरिक्त प्रशिक्षण लेने का आग्रह किया। मंत्री ने जूट और संबद्ध रेशे वाली फसलों में अनुसंधान विकास का व्यवस्थित अवलोकन नामक पुस्तक का विमोचन किया और वैज्ञानिकों से जूट उत्पाद के उपयोग में विविधता लाने का आग्रह किया। उन्होंने बायोएथेनॉल, बायो-सीएनजी, बायोचार, पत्तेदार सब्जी के रूप में जूट और पेपर पल्प के उत्पादन में भाकृअनुप-सीआरआईजेएएफ के प्रयासों पर प्रकाश डाला। मंत्री ने किसानों से भाकृअनुप-सीआरआईजेएएफ द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों और गतिविधियों का अधिक से अधिक लाभ उठाने का आग्रह किया।
प्रारंभ में, भाकृअनुप-सीआरआईजेएएफ के निदेशक, डॉ. गौरांग कर ने संस्थान की उपलब्धियों और यहां चल रही गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
कार्यक्रम के दौरान बायोएथेनॉल और बायो-सीएनजी पायलट परियोजना के लिए शक्तिगढ़ टेक्सटाइल प्राइवेट लिमिटेड के साथ तथा फ्लैक्स की खेती को बढ़ावा देने के लिए जयश्री टेक्सटाइल्स और ओजी हेम्प के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया। समझौता ज्ञापन से पहले 50 प्रतिभागियों के साथ जूट उद्योग हितधारक बैठक भी आयोजित की गई।
कार्यक्रम में कुल 400 जूट उत्पादक, उद्योग प्रतिनिधि, वैज्ञानिक, अधिकारी, स्वयं सहायता समूहों के सदस्य, एफपीओ, एफपीसी, अन्य हितधारक तथा मीडियाकर्मी शामिल हुए।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय जूट तथा संबद्ध रेशा अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, कोलकाता)
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