14 सितंबर, 2023, नवसारी
भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जल मत्स्य पालन संस्थान, चेन्नई (भाकृअनुप-सीबा) ने नवसारी कृषि विश्वविद्यालय परिसर, नवसारी, गुजरात में अपने झींगा किसान कॉन्क्लेव- 2023 का दूसरा संस्करण आयोजित किया। `
श्री परशोत्तम रुपाला, केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, भारत सरकार इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। केन्द्रीय मंत्री ने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र के सतत विकास के लिए 20,050 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना को मंजूरी देने के लिए के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। उन्होंने झींगा मछली में ईएचपी रोग के नियंत्रण के लिए चिकित्सीय ईएचपी-क्यूरा-आई विकसित करने के लिए सीबा के वैज्ञानिकों को बधाई दी और इसे जल्द से जल्द किसानों के लिए उपलब्ध कराने का आग्रह किया। मंत्री ने भाकृअनुप-सीबा के सहयोग से कृषि बीमा कंपनी (एआईसी) द्वारा विकसित झींगा मछली पालन बीमा योजना भी लॉन्च की। मंत्री ने एनजीआरसी-सीबा के वैज्ञानिकों द्वारा समर्थित आजीविका विकास के लिए सीबा के प्रौद्योगिकियों को अपनाने के माध्यम से नवसारी क्षेत्र के एससी और एसटी लाभार्थियों द्वारा 40.05 लाख रुपये की अर्जित धनराशि भी मत्स्य पालक किसानों को सौंपी।
इससे पहले, मंत्री ने जीवित झींगा मछली तथा फ़िनफ़िश प्रजातियों, सीबा हैचरी द्वारा उत्पादित झींगा मछली और इसके बीज की प्रदर्शनी का दौरा किया। उन्होंने किसानों को सीबा द्वारा उत्पादित भारतीय सफेद झींगा मछली बीज वितरित किए। इस अवसर पर उन्होंने भाकृअनुप-सीबा द्वारा गुजराती भाषा में तैयार किए गए कई प्रकाशन भी जारी किए।
नवसारी निर्वाचन क्षेत्र के संसद सदस्य, श्री सी.आर. पाटिल ने कॉन्क्लेव में भाग लिया, सम्मानित अतिथि ने नवसारी में इस मेगा कार्यक्रम के आयोजन के लिए भाकृअनुप-सीबा की सराहना की।
सम्मानित अतिथि, डॉ. जे.के. जेना, उप-महानिदेशक (मत्स्य पालन), भाकृअनुप ने इस बात पर प्रकाश डाला कि झींगा 35,000 करोड़ रुपये मूल्य संदर्भ में भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात में लगभग 70% योगदान देने वाली प्रमुख खाद्य वस्तु है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में इक्वाडोर से अधिक मात्रा में झींगा की आपूर्ति के कारण, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय झींगा के निर्यात में गिरावट का रुख देखा जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय स्तर पर बाजार मूल्य कम हो गया है। डॉ. जेना ने इस बात पर जोर दिया कि इस मुद्दे पर काबू पाने के लिए बाजार के साथ-साथ कृषि क्षेत्र दोनों में नवीन रणनीतियों की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि एसपीएफ टाइगर झींगा मछली और आनुवंशिक रूप से बेहतर भारतीय सफेद झींगा मछली जैसी अन्य प्रजातियों के साथ खारे पानी के जलीय कृषि के विविधीकरण से आने वाले दिनों में भारतीय झींगा उत्पादक किसानों को फायदा मिल सकता है।
श्रीमती गिरिजा सुब्रमण्यम, अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक, एआईसी भी उपस्थित थीं।
भाकृअनुप-सीबा के निदेशक, डॉ. कुलदीप के. लाल ने झींगा मछली उत्पादक किसान सम्मेलन के महत्व, देश में और विशेष रूप से गुजरात राज्य में, खारे पानी की जलीय कृषि के वर्तमान परिदृश्य के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत देश में उभरते रोग एवं रोगजनकों की रिपोर्ट करने के लिए जलीय पशु के रोगों के लिए राष्ट्रीय रोग निगरानी कार्यक्रम (एनएसपीएएडी) को वित्त पोषित किया साथ ही किसानों द्वारा मौजूदा और उभरते रोगज़नक़ों की रिपोर्ट करने के लिए एक "रिपोर्ट मछली रोग एपीपी" विकसित किया, तथा सम्मेलन के दौरान किसानों के समक्ष प्रदर्शन भी किया गया।
भाकृअनुप-सीबा तथा राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के बीच दो समझौता ज्ञापन (एमओयू); एनएफडीबी द्वारा प्रस्तावित प्रीमियम सब्सिडी और एफएफपीओ के लिए प्रौद्योगिकी सहायता के साथ जलीय कृषि के लिए क्रमशः भाकृअनुप-सीबा और मछली किसान उत्पादक संगठन, गुजरात के बीच फसल बीमा लागू किया गया।
सम्मेलन में गुजरात के तटीय जिलों के लगभग 410 जलीय कृषकों ने भाग लिया। इसके अलावा अधिकारियों, तकनीशियनों, संकाय और छात्रों ने भी भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जल मत्स्य पालन संस्थान, चेन्नई)
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