गुवाहाटी स्थित राष्ट्रीय सूअर अनुसंधान केन्द्र में देश में पहली बार शल्यक्रियाहीन भ्रूण हस्तांतरण के द्वारा 'रानी सी-I' शूकर शिशुओं का सफलतापूर्वक जन्म कराया गया। प्रयोगशाला में तैयार भ्रूणों को बिना संज्ञाहीन औषधि दिए गहरे अंतरा-गर्भाशय हस्तांतरण कैथेटर का उपयोग करते हुए पाता सूअरी को हस्तांतरित किया गया। पाता घुंघरू (देसी सूअरी) ने हाल ही में 11 शूकर शिशुओं को जन्म दिया है। इन जन्में 11 शूकर शिशुओं में से सात संस्थान के शूकर प्रजनन फार्म में स्वस्थ हैं और वृद्धि की ओर अग्रसर हैं। दो की जन्म के पूर्व ही मृत्यु हो गई तथा दो शूकर शिशु जन्म के कुछ दिनों पश्चात मर गए।
उत्साहजनक परिणामों से यह स्पष्ट हुआ है कि कम लागत वाली इस प्रौद्योगिकी के उपयोग से भ्रूणों के हिमपरिरक्षण के लिए अतिरिक्त मानकीकरण से युक्त पिग्मी हॉग (पोरक्यूला साल्वेनिया) जैसी व संकटप्राय प्रजातियों के देसी शूकर जननद्रव्य के संरक्षण में सहायता मिलेगी और इस संकटप्राय नस्ल का प्रगुणन व प्रवर्धन होगा।
वर्तमान कार्य को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत कृषि में मौलिक, नीतिपरक और अग्रणी व्यावहारिक अनुसंधान के लिए उपलब्ध कराई गई राष्ट्रीय निधि से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। गुवाहाटी स्थित राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र (सहयोगी केन्द्र) और भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर (अग्रणी केन्द्र) के सम्मिलित परियोजना दल ने प्रोफेसर बी.सी. सरमा, पशुचिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय, गुवाहाटी के मार्गदर्शन और डॉ. ए. दास तथा डॉ. डी.के. सर्मा, क्रमश: पूर्व व वर्तमान निदेशक, सूअर पर राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र से प्राप्त सहायता के प्रति आभार ज्ञापन किया है।
(स्रोत: सूअर पर राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र गुवाहाटी)
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