29 जून, 2022, कटक
कृषि विज्ञान केंद्र, भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक, ओडिशा ने आज यहां "स्वास्थ्य संवर्धन के लिए दैनिक आहार में मछली को शामिल करना" इस पर जागरूकता-सह-प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया।
कार्यक्रम का आयोजन भाकृअनुप-केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान, कोचीन, केरल और भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक के सहयोगात्मक कार्यक्रम के एक भाग के रूप में डब्ल्यूएफसी- भाकृअनुप डब्ल्यू 3 (सीजीआईएआर) परियोजना के तहत किया गया था।


डॉ. पद्मिनी स्वैन, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक ने जोर देकर कहा कि छोटी मछली आयोडीन, सेलेनियम, जस्ता, लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, आदि जैसे कई आवश्यक खनिजों तथा ए, डी और बी जैसे विटामिनों तथा पॉली अनसेचुरेटेड फैटी एसिड (PUFA) मानव शरीर में कई कार्यों में मदद करता है, जिसमें विकास, मस्तिष्क कार्य, भ्रूण और शिशुओं में तंत्रिका तंत्र के विकास में मुख्य भुमिका निभाता है। उन्होंने स्कूली छात्रों, किशोरियों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं से अपने दैनिक आहार में मछली का सेवन करने की प्रथा को अपनाने का आग्रह किया।
डॉ. ए.के. मोहंती, प्रमुख (विस्तार, सूचना और सांख्यिकी विभाग), भाकृअनुप-सीआईएफटी, कोचीन, केरल ने वैश्विक परिदृश्य में भारतीय मत्स्य पालन के प्रभुत्व को कुल मछली उत्पादन में तीसरा और जलीय कृषि उत्पादन में दूसरा स्थान तथा औसत वार्षिक वृद्धि 14.8% का रहा है।
इससे पूर्व, डॉ. जी.ए.के. कुमार, प्रमुख (सामाजिक विज्ञान प्रभाग), भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक, ओडिशा ने स्वागत संबोधन में मानव पोषण के लिए सूखी मछली को शामिल करने की प्रथा को और अधिक टिकाऊ बनाने के लिए बाजार लिंकेज स्थापना और नीति निहितार्थ पर जोर दिया।
कार्यक्रम का उद्देश्य, प्रतिभागियों को समाज में कुपोषण को कम करने के लिए मछली के महत्व के बारे में जागरूक करना था।
कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक, ओडिशा)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें