पंचमहल जिला गुजरात के पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र का हिस्सा है। इसके सभी ग्यारह ताल्लुका में कृषि संबंधी परिस्थितियां लगभग एक समान हैं। सूखा, कम उपजाऊ मिट्टी और लहरदार स्थलाकीर्ति होना इनमें प्रमुख है। इस क्षेत्र के लोगों की आजीविका मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है।
पंचमहल जिले के गोधरा तालुका के मनीपुर गांव निवासी 45 वर्षीय किसान श्री रमेशभाई खुंत 12वीं पास हैं। उनके पास 20 एकड़ जमीन है। इसमें से 15 एकड़ में सिंचाई की सुविधा है, लेकिन 5 एकड़ जमीन की सिंचाई वर्षा पर ही आश्रित है। पहले रमेश पारंपरिक तरीके से मक्का, अरहर, चना, गेहूं, मिर्च, बैंगन आदि की खेती करते थे। वह इन फसलों की स्थानीय किस्म का प्रयोग करते थे और सिंचाई के परंपरागत साधनों पर निर्भर थे। वह बीजों को उपचारित भी नहीं करते थे। लेकिन जब से किसान विज्ञान केन्द्र (केवीके), पंचमहल की ओर से तकनीकी सहायता मिली है, रमेश ने कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की है।
फसल उत्पादन का व्यावसायिक प्रशिक्षण लिया
गोधरा के पास वेजालपुर स्थित केवीके, पंचमहल केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान (सीआईएएच), बीकानेर के तहत काम करता है। केवीके के एक सहभागितापूर्ण ग्रामीण मूल्यांकन सर्वेक्षण के दौरान रमेश केवीके के वैज्ञानिकों के संपर्क में आए और उन्हें कृषि संबंधी अपनी समस्याएं बताई। वैज्ञानिकों ने उनके खेतों की मिट्टी की जांच की फिर उन्हें अरहर उत्पादन का व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने का परामर्श दिया। उन्हें रीजोबियम कल्चर से बीज का उपचार करने, एकीकृत कीट प्रबंधन, बीज से उगाए छोटी पौध का उपयोग और मिर्च की वैज्ञानिक खेती का भी प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण के बाद रमेश के खेत को अरहर और मिर्च का उत्पादन बढ़ाने के लिए तकनीकों का प्रदर्शन कार्यक्रम के तहत अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के लिए चुना गया। केवीके द्वारा उन्हें अरहर की उन्नत किस्म सीवी वैशाली के बीज और मिर्च की उन्नत किस्म सीवी जीवीसी-111 के पौधे उपलब्ध कराए गए। केवीके के विशेषज्ञों ने उनके खेतों का नियमित निरीक्षण किया और वहां फील्ड डे व किसान गोष्ठी करके उन्हें तकनीकी सहायता प्रदान की।
आमदनी में हुई वृद्धि
फसल उत्पादन में सफलता के बाद श्री रमेशभाई ने 115 क्विंटल प्रति हैक्टर अरहर की हरी फली, 127.2 क्विंटल प्रति हैक्टर मिर्च का उत्पादन किया। उन्हें अरहर से 1,25,000 रुपए और मिर्च से 1,01,760 रुपए की आमदनी हुई। परंपरागत तरीके से अरहर और मिर्च की खेती में प्रति हैक्टर क्रमशः 14,800 रुपए और 26,700 खर्च आता था। केवीके के हस्तक्षेप और अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन से यह खर्च क्रमशः 24,650 और 36,800 रुपए हो गया। लेकिन आमदनी में भी वृद्धि हुई।
फसल |
परंपरागत प्रणाली/केवीके के हस्तक्षेप से पहले | केवीके के हस्तक्षेप के बाद | ||||||
खेती पर खर्च (रुपए) | उत्पादन (क्विं/है.) |
आय (रुपए) | बीःसी अनुपात | खेती पर खर्च (रुपए) | उत्पादन (क्विं/है.) | आय (रुपए) | बीःसी अनुपात | |
अरहर (हरी फली) | 14,800 | 36.20 | 39,347 | 2.66 | 24,650 | 115 | 1,25,000 | 4.87 |
मिर्च | 26,700 | 65.40 | 52,320 | 1.95 | 36,800 | 127.2 | 1,01,760 | 2.76 |
श्री रमेशभाई ने केवीके द्वारा प्रदान की गई तकनीक से अरहर व मिर्च की खेती से कम समय में दो लाख रुपए की आमदनी की। हाल ही में उन्होंने इस आमदनी से छोटा ट्रैक्टर खरीदा है। अब वह अन्य किसानों को भी वैज्ञानिक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
(स्रोतः एनएआईपी मास मीडिया प्रोजेक्ट, डीकेएमए; साथ में कंसोर्टियम पार्टनर डीएमएपीआर, आनंद)
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