पूर्वोत्तर क्षेत्रों में भूमि एवं जल प्रबंधन पर जोर
छेबरी/त्रिपुरा
डॉ. के. डी. कोकाटे, उप-महानिदेशक, कृषि विस्तार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अध्यक्षता में दिव्योदय कृषि विज्ञान केंद्र, छेबरी, पश्चिम त्रिपुरा में 27 अगस्त 2010 को एक इंटरफेस बैठक का आयोजन किया गया जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्रों में उद्यम विकास के लिए रणनीति बनाने पर चर्चा की गई।
डॉ. कोकाटे ने अपने उद्बोधन में भूमि एवं जल प्रबंधन पर काफी जोर दिया और कहा कि भूमि एवं जल प्रबंधन के साथ-साथ पोषण प्रबंधन तथा मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन भी होना चाहिए ताकि फसल किस्मों की उच्चतम क्षमता का उपयोग किया जा सके। उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वह विभिन्न क्रियाओं को विकसित करने, गुणवत्तायुक्त बीज और रोपण़ सामग्री को उत्पादित कारने और किसानों को फसल प्रदर्शन के लिए विभिन्न मॉडल विकसित करें। उन्होंने किसानों को प्रेरित करने के लिए सफलता की कहानी सुनाई और इस क्षेत्र में पशुधन और मुर्गी के महंगें चारा की समस्या के समाधान के लिए मक्का की खेती पर जोर दिया। डॉ. कोकाटे ने अन्य सफल राज्यों के मॉडल को अपनाने का सुझाव दिया और कहा कि स्थानीय स्तर पर आवश्यक खाद्य पदार्थों की पूर्ति के लिए अन्य स्थानों से आयात करने के बजाय इसका उत्पादन किया जाए। उन्होंने पर्याप्त लघु शीत भंडारण व्यवस्था पर भी ध्यान आकर्षित किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पर्वोत्तर क्षेत्रों के कृषि आर्थिक विकास के लिए लघु स्तर पर लघु ऋण वितरण में बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के और अधिक सहयोग की उम्मीद है।
इससे पूर्व डॉ. कोकाटे ने गणमान्य व्यक्तियों के साथ विभिन्न प्रदर्शन इकाइयों जैसे धान की खेती, एकीकृत खेती प्रणाली, सूअरपालन, मुर्गीपालन, बकरीपालन इकाइयों का दौरा किया। इसी दौरान केवीके के एक प्रदर्शनी हाल और हाईटेक पोली हाउस का भी उद्घाटन किया गया।
दिव्योदय केवीके पश्चिम त्रिपुरा, छेबरी और जोनल परियोजना निदेशालय, जोन-3, आईसीएआर, बारापानी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्य कृषि विभागों, संबंधित विभागों, गैर-सरकारी संगठनों, मसाला बोर्ड और कृषि विज्ञान केंद्रों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
Tइस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्राकृतिक संसाधनों के सतत् ढंग से उपयोग के साथ भूमि एवं जल का उचित प्रबंधन, ब्लाक स्तर पर लघु शीत भंडारण की स्थापना, गुणवत्तायुक्त बीज और रोपण सामग्री के उत्पादन के लिए किसानों को फसल प्रदर्शन के लिए विभिन्न मॉडलों का विकास, अन्य सफल राज्यों के मॉडल का अनुसरण, आदर्श ऋण संयोजन और उचित लाभार्थी चयन प्रक्रिया की सिफारिश की गई।
(स्रोत :एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास-मीडिया मोबिलाइजेशन, दीपा और जोनल परियोजना निदेशालय, जोन-3, बारापानी)
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