25 जनवरी, 2024, नागपुर
भाकृअनुप-राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण और भूमि उपयोग योजना ब्यूरो, नागपुर ने भू-स्थानिक तकनीकों का उपयोग करके कृषि भूमि उपयोग योजना के तहत बड़े पैमाने पर त्रिपुरा राज्य की भूमि संसाधन सूची तैयार करने के लिए एक कार्यशाला आज आयोजन किया।
डॉ. एन.जी. पाटिल, निदेशक, भाकृअनुप-एनबीएसएस एंड एलयूपी ने मृदा संसाधनों के प्रबंधन तथा देश की खाद्य सुरक्षा को सुरक्षित करने के लिए बड़े पैमाने पर एलआरआई के महत्व पर प्रकाश डाला। भूमि उपयोग के विकल्प और भूमि पार्सल-विशिष्ट मिट्टी की जानकारी के आधार पर विकसित प्रौद्योगिकियों से न केवल इष्टतम कृषि उत्पादकता में मदद मिलेगी बल्कि बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों मिट्टी तथा पानी का संरक्षण भी होगा।
डॉ. एफ.एच. रहमान, प्रमुख, भाकृअनुप-एनबीएसएस एंड एलयूपी, क्षेत्रीय केन्द्र, कोलकाता ने राज्य के वर्तमान कृषि परिदृश्य, कार्यप्रणाली, अपेक्षित आउटपुट तथा परिणामों सहित परियोजना के अवलोकन के बारे में बात की।
श्री सरदिंदु दास, निदेशक, कृषि विभाग, त्रिपुरा सरकार ने एलआरआई परियोजना के माध्यम से त्रिपुरा को चावल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए इसे गंभीरता से लिया। उन्होंने किसानों तथा विस्तार अधिकारियों को प्रदर्शन के तौर पर एक केस स्टडी के रूप में विकसित ग्राम पंचायत स्तर की भूमि उपयोग योजना को लागू करने एवं निगरानी करने का आग्रह किया।
कार्यशाला के दौरान वर्मीकम्पोस्टिंग और बायोचार तैयार करने के लिए रबर की पत्तियों का उपयोग करने तथा मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए कृषि भूमि में उनका उपयोग करने की संभावना पर भी चर्चा की गई।
कार्यशाला में , कृषि विभाग, त्रिपुरा सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, भाकृअनुप-एनबीएसएस के प्रमुख तथा एलयूपी, नागपुर के सभी वैज्ञानिकों एवं क्षेत्रीय केन्द्र जोरहाट के वैज्ञानिकों के साथ-साथ विभिन्न प्रभाग के प्रमुखों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग योजना ब्यूरो, क्षेत्रीय केन्द्र, कोलकाता)
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