दिसंबर, 2004 के दौरान हिंद महासागर में टी-सुनामी के प्रकोप के कारण सीपी संसाधनों की घटती कमी को झेलते हुए कुंद्राकाडु टोले, कोवलम गाँव, चेंगलपट्टू जिले, तमिलनाडु के तटीय परिवारों के एक समूह ने वैकल्पिक आजीविका के मार्गदर्शन और सुविधा के लिए भाकृअनुप-केंद्रीय खारा जल जीवपालन अनुसंधान संस्थान, चेन्नई का दौरा किया।
संस्थान ने चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीपीसीएल) के साथ मिलकर मद्रास रिफाइनरीज लिमिटेड (एमआरएल) के सीपीसीएल के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत एक परियोजना लागू की। खारा जल जीवपालन गतिविधि को शुरू करने के लिए एक समूह (10 सदस्य) के रूप में संगठित करके परियोजना टीम ने उन्हें पर्ल स्पॉट फिश (एट्रोप्लस सुराटेन्सिस) के बच्चे के पालन के लिए एक स्वनिर्धारित वासभूमि पुनरावर्तनशील जल जीवपालन प्रणाली स्थापित करने हेतु प्रशिक्षित किया। इसके अलावा समूह के सदस्यों को पर्याप्त रोजगार और आय प्रदान करने के लिए उन्होंने एकीकृत संरचना के रूप में कुक्कूट पालन, मशरूम उत्पादन और किचन गार्डन इकाईयों की भी स्थापना की।

पर्ल स्पॉट सीड रीअरिंग गतिविधि में मॉड्यूलर टैंकों में पर्ल स्पॉट फ्राई (मछली के छोटे बच्चे) साइज के बीज का भंडारण, चारे की तैयारी सहित चारा खिलाना, टैंक की सफाई एवं रख-रखाव, मछली की वृद्धि की निगरानी करना, और स्थानीय सजावटी मछली किसानों एवं व्यापारियों के लिए मछली के बच्चों की पैकिंग और विपणन करना शामिल है। भाकृअनुप-सिबा फिश हैचरी (मछली पालने का जहाज) ने 1.0 सेमी (0.8 सेमी से 1.2 सेमी) के औसत आकार के साथ लगभग 2,000 पर्ल स्पॉट फ्राई प्रदान किया और 4 कंक्रीट टैंकों में प्रत्येक की दर से 500 का भंडारण किया। भोजन को सिबा पर्ल स्पॉट ग्रोआउटप्लस चारे के साथ दैनिक आधार पर शरीर के वजन के 3% से 5% पर किया गया था। 52 दिनों के बाद, मछली ने 3.2 सेमी (2.8-3.6 सेमी की सीमा) के औसत आकार के साथ 0.8 ग्राम (0.6 ग्राम से 1.1 ग्राम) का औसत वजन प्राप्त किया था। कुल 1,865 पर्ल स्पॉट मछली के बच्चे का उत्पादन किया गया, जो 93.3% की जीवित दर के साथ एक सफल नर्सरी चरण का संकेत देता है, जिसमें उत्पादन की लागत 2,500 रुपए (बीज की लागत 1.0 रुपए प्रति बीज और चारा लागत 500 रुपए) है। सजावटी मछली पालकों को 6 रुपए/फिंगरलिंग की दर से फिंगरलिंग बेची गई। इसके साथ ही समूह ने पर्ल स्पॉट बीज पालन तकनीकी से प्रति बैच 9,000 रुपए की आय अर्जित की। लार्वल पालन टैंकों से निकलने वाली नाली का इस्तेमाल किचन गार्डन में सब्जियाँ उगाने के लिए किया जाता था।
प्रौद्योगिकी अपनाने के दौरान, समूह ने तमिलनाडु के तिरुवल्लुर जिले के पल्लिट लेक में जंगली 40 पर्ल स्पॉट ब्रूडर्स (वजन में 50 ग्राम से 80 ग्राम) एकत्र किए। ब्रूडर (उद्यान-गृह) को सिबा फिश हैचरी में 20 दिनों के लिए संगरोध किया गया था और लाभार्थियों के आरएएस आधारित वासभूमि मॉड्यूलर टैंकों को सेट-अप में लाया गया था।
टैंक ने पर्ल स्पॉट ब्रूडर्स को जून, 2020 के महीने के दौरान पाला और 130 शुरुआती मछली के छोटे बच्चे प्राप्त किए। मछली के छोटे बच्चे को पाला गया और उन्हें सजावटी मछली पालकों को बेच दिया गया।
पर्ल स्पॉट नर्सरी पालन के अलावा लाभार्थियों ने कुक्कुट पालन की बिक्री से 10,000 रुपए से लेकर 12,000 रुपए तक की आय और वासभूमि सब्जी पालन से 5,000 रुपए से 6,000 रुपए तक की आय भी अर्जित की है। कुक्कुट पालन और किचन गार्डनिंग के साथ-साथ "वासभूमि पर्ल स्पॉट भोजन एवं बीज पालन गतिविधि" को अपनाने से तटीय परिवारों को सीपी इकट्ठा करने सहित आजीविका का अवसर मिला है।
(स्रोत: भाकृअनुप-केंद्रीय खारा जल जीवपालन अनुसंधान संस्थान, चेन्नई)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें