किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) आधारित विस्तार वितरण मॉडल पारंपरिक विस्तार वितरण मॉडल से बेहतर प्रदर्शन करता है। एफपीओ आधारित विस्तार मॉडल की दक्षता का आकलन करने के लिए, मशरूम उत्पादन में 'प्रशिक्षण से विपणन मॉडल' की संकल्पना करके भाकृअनुप-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी में एक पहल की गई।
मशरूम उत्पादन के माध्यम से पोषण सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण पर तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम अगस्त, 2021 के अंतिम सप्ताह के दौरान आयोजित किया गया था। 20 कृषक महिला प्रतिभागियों में से 10 एफपीओ सदस्य थीं और बाकी 10 किसी भी एफपीओ से जुड़ी नहीं थीं। इन्हें व्यवहारिक रूप से सीखने के दृष्टिकोण और इसके माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
प्रशिक्षण के बाद, प्रतिभागियों को मशरूम बैग तैयार करने और अपने घरेलू स्तर पर मशरूम उत्पादन शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। एक महीने के बाद, सितंबर 2021 के अंतिम सप्ताह के दौरान, भाकृअनुप-आईआईवीआर के वैज्ञानिकों की टीम ने मशरूम उत्पादन में प्रगति देखने के लिए गांवों का दौरा किया। टीम को पता चला कि मशरूम बैगों का प्रबंधन बहुत खराब तरीके से किया गया था और वे कोप्रिनस से भरे हुए थे (अस्वस्थ परिस्थितियों और बैगों के कुप्रबंधन के कारण अवांछित कवक बढ़ता है)।
अगले दिन, एफपीओ श्रेणी से संबंधित तीन महिलाएं आईआईवीआर में वापस आईं और बताया कि, प्रशिक्षण से लौटने के बाद वे मशरूम बैग के प्रबंधन के बारे में कई पहलुओं को भूल गईं, जिसके परिणामस्वरूप विफलता हुई और उन्होंने दूसरे प्रशिक्षण के लिए अनुरोध किया। एफपीओ का सदस्य होने और साथियों के दबाव ने उन्हें वापस लौटने और समृद्धि के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया होगा। दुसरी तरफ गैर एफपीओ महिलाएं संस्थान में पुनः नहीं आईं।
इसलिए, चीजों को दोबारा दोहराने के लिए एक और एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया और कार्यशाला के लिए केवल इच्छुक 10 महिलाओं का चयन किया गया।
नवंबर 2021 के महीने में, भाकृअनुप-आईआईवीआर की टीम ने प्रत्येक मशरूम इकाई का दौरा किया और दूधिया सफेद ऑयस्टर मशरूम के बंपर उत्पादन के साथ अच्छी तरह से रखरखाव किया।
ऑयस्टर मशरूम कम लोकप्रिय है और इसकी बाजार में मांग भी कम है। भारी मशरूम फ्लश निकल रहे थे और महिला समूह इसकी मार्केटिंग को लेकर चिंतित थी। यहां बड़ी चुनौती विपणन तथा छोटे मशरूम उद्यमों को टिकाऊ बनाने की थी।
इसलिए प्रतिभागियों द्वारा, आईआईवीआर से मार्केटिंग शुरू करने का विचार आया। एक शोध संगठन का हिस्सा होने के नाते आईआईवीआर के सभी कर्मचारी ऑयस्टर मशरूम के स्वाद और पोषण मूल्य से अच्छी तरह वाकिफ थे।
महिला समूह ने आईआईवीआर में ऑयस्टर मशरूम लाया और इसे 100.00 प्रति किग्रा. की दर से बेचा गया। उन्होंने बैंक, डाकघर, स्कूलों और कॉलेजों जैसे अन्य नजदीकी संगठनों से भी मार्केटिंग की। इसलिए सीप मशरूम के लिए "संस्थागत विपणन मॉडल" स्थापित हुआ।
इसी बीच एक मशरूम उद्यमी से संपर्क स्थापित हुआ, जिसने मशरूम के मूल्यवर्धित उत्पादों जैसे मशरूम का अचार, चटनी, मशरूम पाउडर आदि का व्यवसाय शुरू किया और महिला समूह से कच्चे मशरूम इकट्ठा करना शुरू कर दिया। 16 महिलाओं वाले समूह ने अक्टूबर 2021 से फरवरी 2022 की पांच महीने की अवधि के दौरान घर पर खपत के अलावा 25300.00 रु. का लाभ अर्जित किया।
इस तरह एफपीओ की सदस्य कृषक महिलाओं ने समूह के साथ मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षण की व्यावहारिकता की दिशा में तार्किक अंत तक पहुंचा एवं लक्ष्य हासिल किया।
एफपीओ वह मंच था जिसने, महिला समूह को एक साथ काम करने और उपज की विभिन्न बाजार संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रेरित किया और इस अनुरूपता का समर्थन किया, "एफपीओ आधारित विस्तार एवं वितरण मॉडल पारंपरिक विस्तार वितरण मॉडल से बेहतर काम कर सकता है"।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें