16 अक्टूबर, 2023, कोलकाता
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (एटीएआरआई), कोलकाता ने पृथ्वी दिवस नेटवर्क इंडिया के सहयोग से लोगों में उनके स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विश्व खाद्य दिवस का आयोजन किया, आज मिट्टी बनाम प्लास्टिक पर एक वेबिनार आयोजित किया गया जिसमें विशेषज्ञों ने चर्चा की माइक्रोप्लास्टिक मिट्टी और कृषि उपज को कैसे प्रभावित करता है और इसके संभावित समाधान भी दिये।
डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता ने 'मृदा स्वास्थ्य, मिट्टी और उपज की गुणवत्ता: स्वस्थ उपज के लिए स्वस्थ मिट्टी कितनी आवश्यक है' विषय पर प्रस्तुति दी। उन्होंने वेबिनार से मुख्य निष्कर्षों का सारांश देने के अलावा, भूमि प्रशासन, विस्तार और सलाहकार सेवाओं, स्थानीय प्रशासन और सहयोग, वित्त तथा बाजार के साथ-साथ सभी चरणों में निगरानी और मूल्यांकन को शामिल करते हुए टिकाऊ प्लास्टिक मुक्त मिट्टी प्रबंधन के लिए एक मैट्रिक्स का भी प्रस्ताव रखा।
वियना विश्वविद्यालय के पर्यावरण अनुसंधान नेटवर्क के निदेशक, डॉ. थिलो हॉफमैन ने 'कृषि पर प्लास्टिक के प्रभाव: वर्तमान परिदृश्य और आगे की राह' पर अपना शोध प्रस्तुत किया।
डॉ. तपन अधिकार, प्रमुख, पर्यावरण मृदा विज्ञान, भाकृअनुप-आईआईएसएस, भोपाल ने 'मिट्टी में माइक्रोप्लास्टिक्स पर अनुसंधान और निष्कर्ष: भारतीय परिदृश्य' पर प्रस्तुति दी।
डॉ. लुका निज़ेटो, वरिष्ठ अनुसंधान वैज्ञानिक, नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट ऑफ वॉटर रिसर्च ने 'मिट्टी में माइक्रोप्लास्टिक्स- मिट्टी, उपज और मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव' पर प्रस्तुति दी।
डॉ. मैरियन कैंटिलन, संस्थापक, पिटसील तथा शोधकर्ता, टीगास्क और यूनिवर्सिटी कॉलेज कॉर्क, आयरलैंड ने एक 'अभिनव समाधान प्रस्तुत किया जिसमें साइलेज, गड्ढों को ढकने और उत्सर्जन को कम करने में मदद करने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक के प्रतिस्थापन के रूप में काम करता है।'
प्रारंभ में, EARTHDAY.ORG के वरिष्ठ प्रतिनिधि, श्री मोनोदीप दत्त ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और वेबिनार के विषय और महत्व का संक्षेप में परिचय दिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें