29 मई, 2023, हैदराबाद
महाराष्ट्र के लिए खरीफ 2023 में कृषि आकस्मिकताओं की तैयारी बढ़ाने पर एक आभासी इंटरफ़ेस बैठक का आयोजन भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान (क्रिडा), हैदराबाद, कृषि और सहकारिता विभाग तथा कृषि विभाग, महाराष्ट्र सरकार द्वारा आज किया गया।
श्री एकनाथ द्वाले, मुख्य सचिव, कृषि विभाग, महाराष्ट्र सरकार ने बीज की उपलब्धता को सत्यापित करने का आग्रह किया और मानसून की देर से शुरुआत होने पर सोयाबीन की बुवाई करने का निर्देश दिया।

डॉ. वी.के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-क्रीडा ने आईएमडी की लंबी दूरी के मौसम पूर्वानुमान तथा राज्य के लिए इसके प्रभावों के मद्देनजर तैयारियों को बढ़ाने के लिए इंटरफेस बैठक की आवश्यकता के बारे में बताया।
आईएमडी पुणे के प्रमुख, डॉ. एच.एस. होसालिकर ने सुझाव दिया कि हर हफ्ते मौसम के पूर्वानुमान का सभी विभाग के अधिकारियों द्वारा धार्मिक रूप से पालन किया जाना चाहिए और सभी किसानों को जानकारी का प्रसार करना चाहिए ताकि समय पर उचित निर्णय लिया जा सके।
कृषि विभाग के मुख्य सांख्यिकी अधिकारी, डॉ. विनय कुमार आवटे ने महाराष्ट्र राज्य में फसल की स्थिति प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि भाकृअनुप-क्रीडा और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों की मदद से आकस्मिक फसल योजनाएं तैयार की गईं और उन्हें अपडेट किया गया।
डॉ. रवींद्र चारी, पीसी, एआईसीआरपीडीए ने किसानों के खेतों में वर्षा के भंडारण को बढ़ाने और शुष्क अवधि के दौरान महत्वपूर्ण सिंचाई के लिए कटे हुए अपवाह का उपयोग करने पर जोर दिया।
डॉ. के.वी. राव, भाकृअनुप-क्रीडा ने महाराष्ट्र राज्य को मौसम के लिए मानसून के पूर्वानुमान, फसल क्षेत्र का विवरण तथा महाराष्ट्र सरकार द्वारा उठाए जाने वाले संभावित आकस्मिक उपायों को प्रस्तुत किया।
बैठक में एआईसीआरपीडीए और एआईसीआरपीएएम के मुख्य वैज्ञानिक, महाराष्ट्र में स्थित भाकृअनुप संस्थानों के निदेशक, एसएयू के निदेशक (अनुसंधान)/ निदेशक (विस्तार), ने भाग लिया।
सोयाबीन के लिए इष्टतम बुवाई खिड़की पर सभी विशेषज्ञों द्वारा चर्चा की गई और निष्कर्ष निकाला गया कि जुलाई के अंत तक सोयाबीन की बुवाई की जा सकती है। तथापि, यह सुझाव दिया गया है कि यदि सोयाबीन की बुवाई 15 जुलाई के बाद की जानी है तो अंदर फसल का पालन करें। यह भी सुझाव दिया गया था कि कपास, अरंडी, हरा चना और अरहर देर से मानसून की स्थिति के दौरान अन्य विकल्प हैं।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)
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