भाकृअनुप-सीआरआईडीए की XXXIII आरएसी बैठक आयोजित

भाकृअनुप-सीआरआईडीए की XXXIII आरएसी बैठक आयोजित

29 अप्रैल, 2025, हैदराबाद

भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद की 33वीं अनुसंधान सलाहकार समिति की बैठक (आरएसी) 28-29 अप्रैल 2025 को भाकृअनुप-सीआरआईडीए में हाइब्रिड मोड में आयोजित की गई।

पीपीवी एवं एफआरए के अध्यक्ष, पूर्व सचिव (डेयर) तथा पूर्व महानिदेशक, भाकृअनुप, डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने बैठक की अध्यक्षता की और संस्थान से प्राप्त डेटाबेस और प्रौद्योगिकियों के डिजिटलीकरण का आग्रह किया, जो पुनर्प्राप्ति और प्रभाव विश्लेषण में बहुत मददगार हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए निर्णय लेने में एआई और एमएल उपकरणों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करना प्राथमिकता होनी चाहिए।

XXXIII RAC Meeting of ICAR-CRIDA Organised

आईसीएआर-सीआरआईडीए के निदेशक डॉ. वी.के. सिंह ने संस्थान के शोध कार्यक्रम के समग्र सुधार के लिए आरएसी के महत्वपूर्ण महत्व के बारे में बताया। उन्होंने शुष्क भूमि कृषि में संस्थान के योगदान को भी प्रस्तुत किया और संस्थान के हालिया राष्ट्रीय परिणामों और भाकृअनुप-सीआरआईडीए के अवलोकन के बारे में बताया।

सदस्य सचिव, डॉ. एम. श्रीनिवास राव ने आरएसी (XXXII) की पिछली बैठक की सिफारिशों पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) प्रस्तुत की और उसे अनुसंधान सलाहकार समिति द्वारा स्वीकार कर लिया गया।

शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कश्मीर के पूर्व कुलपति, डॉ. जे.पी. शर्मा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि राज्य विभागों और केवीके के सहयोग से प्रौद्योगिकियों के विस्तार और उन्नयन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए ताकि देश भर के किसानों तक पहुंचा जा सके।

डॉ. एच.एन. वर्मा, पूर्व निदेशक, आईसीएआर-भारतीय जल प्रबंधन संस्थान, भुवनेश्वर ने जल चक्रण के व्यावहारिक समाधान के रूप में सामुदायिक तालाबों के जीर्णोद्धार की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को लाभ होगा।

XXXIII RAC Meeting of ICAR-CRIDA Organised

आनंद कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, डॉ. ए.एम. शेख ने कहा कि कीट और रोग की पूर्व चेतावनी के लिए सूक्ष्म जलवायु का आकलन और मात्रा निर्धारण किया जाना चाहिए।

भाकृअनुप-केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल के पूर्व निदेशक, डॉ. डी.के. शर्मा ने दोहराया कि किसानों के नजरिए से प्रौद्योगिकियों को समझना और परिष्कृत करना उन्हें अधिक व्यवहार्य बना सकता है।

डॉ. ए. वेलमुरुगन, सहायक महानिदेशक (मृदा जल प्रबंधन) भाकृअनुप एवं (एएएफ एवं सीसी) ने शुष्क भूमि प्रौद्योगिकियों के व्यापक प्रभाव विश्लेषण के महत्व पर बल दिया तथा सफलता की कहानियों के दस्तावेजीकरण का सुझाव दिया।

आरएसी के अध्यक्ष ने आरंभ में भाकृअनुप-सीआरआईडीए, एआईसीआरपीडीए और एआईसीआरपीएएम के प्रयासों की सराहना की तथा जलवायु परिवर्तन और शुष्क भूमि कृषि में उभरती चुनौतियों के मद्देनजर शुष्क भूमि अनुसंधान को मजबूत करने के महत्व पर बल दिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)

×