भ्रूण स्थानांतरण प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत में पहले अश्व के मारवाड़ी नस्ल के बछड़े का जन्म

भ्रूण स्थानांतरण प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत में पहले अश्व के मारवाड़ी नस्ल के बछड़े का जन्म

19 मई, 2023, बीकानेर

भाकृअनुप-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र के अश्व विकास परिसर, बीकानेर, राजस्थान के वैज्ञानिकों ने भ्रूण स्थानांतरण तकनीक का उपयोग करके अश्व के बच्चे का विकास किया है। भ्रूण स्थानांतरण प्रौद्योगिकी में, ब्लास्टोसिस्ट चरण (गर्भाधान के 7.5 दिन बाद) में एक निषेचित भ्रूण को दाता मादा अश्व से एकत्र किया गया और प्राप्तकर्ता (सरोगेट) मां को सफलतापूर्वक स्थानांतरित कर दिया गया।

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शुक्रवार, 19 मई, 2023 को एक सरोगेट मां को एक ब्लास्टोसिस्ट-स्टेज भ्रूण के स्थानांतरण के कारण 23.0 किलोग्राम के सामान्य वजन के साथ एक बछड़े का जन्म हुआ। नवजात बछड़े का नाम 'राज-प्रथम' रखा गया है। अश्व के मारवाड़ी नस्ल की आबादी तेज गति से घट रहे है (पशुधन गणना, डीएएचडी, 2023)।

भारत में अश्व की नस्लों की घटती आबादी के संरक्षण और प्रसार के लिए भाकृअनुप-एनआरसीई काफी लगन के साथ काम कर रहा है। इस मारवाड़ी अश्व की नस्ल के भ्रूण को इकट्ठा करने और क्रायोप्रिजर्व करने के अथक प्रयास के लिए पिछले साल राष्ट्रीय पशुधन मिशन परियोजना के तहत 100.00 लाख रुपये प्रदान किया गए।

डॉ. टीआर तल्लूरी (प्रमुख अन्वेषक) और डॉ. यशपाल, डॉ. आरए लेघा और डॉ. आरके देदार (सह-प्रधान अन्वेषक) की टीम ने परियोजना के उद्देश्य को पूरा करने के लिए काम शुरू किया। इस परियोजना में टीम को डॉ. सज्जन कुमार, श्री मनीष चौहान ने भी सहयोग दिया। डॉ. जितेन्द्र सिंह और श्री एसएन पासवान ने बछड़े और इसकी मां के देखभाल तथा प्रबंधन में सहायता किया।

अब तक, टीम ने 10 मारवाड़ी अश्व के भ्रूणों का विट्रिफिगेशन सफलतापूर्वक किया है। आगे, अधिक अश्व के भ्रूणों को क्रायोप्रिजर्व किये जाने की योजना है।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र के अश्व विकास परिसर, बीकानेर, राजस्थान, भारत)

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