12 नवंबर, 2025, शामली (उ.प्र.)
भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा संचालित केन्द्र द्वारा, सरकार की अनुसूचित जाति उप-योजना के अंतर्गत ग्राम ताना, जनपद शामली (उ.प्र.) में “आय सर्जन के लिए अवशेष प्रबंधन” विषय पर कृषक प्रशिक्षण एवं इनपुट वितरण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। इस योजना का संचालन, डॉ. श्रीनिवास राव, निदेशक, भाकृअनुप-आईएआरआई एवं डॉ. आर.एन. पडारिया, संयुक्त निदेशक (प्रसार), भाकृअनुप-आईएआरआई के मार्गदर्शन में डॉ. संदीप कुमार लाल, नोडल अधिकारी, द्वारा किया गया।

इस अवसर पर संस्थान के कृषि वैज्ञानिक, डॉ. रेनू सिंह, डॉ. ओ.पी. सिंह, डॉ. विश्वनाथ यल्लमले, डॉ. मलखान सिंह, डॉ. गोगराज जाट एवं श्री धर्मपाल सिंह उपस्थित रहे।
डॉ. रेनू सिंह ने किसानों को बदलते पर्यावरणीय परिवेश में उन्नत तकनीकों से खेती करने तथा पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने किसानों को पराली प्रबंधन के विभिन्न उपायों तथा पराली को ऊर्जा के स्रोत के रूप में उपयोग करने के तरीकों के बारे में भी जागरूक किया।
डॉ. ओ.पी. सिंह ने फसल विविधीकरण के महत्व एवं लाभों पर प्रकाश डालते हुए बताया, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और किसानों की आय में भी वृद्धि होती है।

डॉ. विश्वनाथ यल्लमले ने बीज गुणवत्ता परीक्षण की प्रक्रिया और उसके महत्व की जानकारी दी।
श्री धर्मपाल सिंह ने किसानों को उन्नत बीजों की उपलब्धता एवं उनके प्रयोग से होने वाले लाभों के बारे में बताया।
डॉ. गोगराज जाट ने सब्जी फसलों की खेती के महत्व तथा उनके उचित प्रबंधन के तरीकों पर चर्चा की।
डॉ. मलखान सिंह ने किसानों को फसलों में रोगों की पहचान एवं रोग प्रबंधन से संबंधित जानकारी दी और समय पर नियंत्रण उपाय अपनाने के लिए प्रेरित किया।
विशेषज्ञों ने किसानों को मृदा सैंपलिंग, फसल बीमा, फसल विविधीकरण, अवशेष प्रबंधन तथा फसलों में मूल्य संवर्धन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षण दिया। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को आधुनिक तकनीकों को अपनाने और संस्थान द्वारा आयोजित विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया ताकि वे अपनी आय और उत्पादकता में वृद्धि कर सकें।
कार्यक्रम के अंत में किसानों को संस्थान द्वारा चयनित बीज एवं कृषि सामग्री वितरित की गई तथा एफ.पी.ओ. (किसान उत्पादक संगठन) बनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया।
ग्राम ताना एवं आसपास के अनेक गांवों से 200 के अधिक किसानों और ग्रामीण महिलाओं सहित, ग्राम प्रधानों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागिता की।
(स्रोतः भाकृअनुप- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)








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