16-17 फरवरी, 2024, श्रीनिकेतन
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता और कृषि विज्ञान केन्द्रों ने रथींद्र केवीके, विश्वभारती में प्राकृतिक खेती को बढ़ाने पर 2 दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।
डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता ने इनपुट लागत को कम करने, कृषक समुदाय के लाभ में सुधार और कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिए प्राकृतिक खेती के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने मिट्टी, पौधों, जानवरों तथा मनुष्यों के स्वास्थ्य को लगातार बचाने के लिए प्राकृतिक खेती, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं और 'वन हेल्थ' अवधारणा के बीच तालमेल पर भी जोर दिया।
डॉ. ए.के. बारिक, प्रिंसिपल, पल्ली शिक्षा भवन, श्रीनिकेतन, विश्व भारती ने कहा कि जागरूकता बढ़ाकर और प्रथाओं का वैज्ञानिक आधार स्थापित करके प्राकृतिक खेती को जमीनी स्तर पर ले जाया जाना चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान पश्चिम बंगाल पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय और कोलकाता के कुलपति, डॉ. एस.एस. दाना तथा रथींद्र केवीके के प्रमुख, डॉ. एस. मंडल भी उपस्थित थे।
हितधारकों को प्राकृतिक खेती पर प्रकाशन प्रदान किए गए, और कार्यक्रम के दौरान पोस्टर एवं वीडियो प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं।
इस कार्यक्रम में ओडिशा, पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से प्राकृतिक खेती परियोजना को लागू करने वाले ज़ोन - V के सभी 34 केवीके ने भाग लिया।
कार्यशाला में 60 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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