भाकृअनुप-डीसीएफआर ने जम्मू-कश्मीर के मत्स्य अधिकारियों के लिए मछली की गहन खेती के लिए रिसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम पर प्रशिक्षण का आयोजन किया

भाकृअनुप-डीसीएफआर ने जम्मू-कश्मीर के मत्स्य अधिकारियों के लिए मछली की गहन खेती के लिए रिसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम पर प्रशिक्षण का आयोजन किया

5-7 जून 2023, भीमताल

भाकृअनुप-शीत जल मत्स्य अनुसंधान निदेशालय (डीसीएफआर), भीमताल ने 5-7 जून, 2023 के दौरान मछली की गहन उत्पादन के लिए रिसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया।

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आरएएस एक कुशल एवं टिकाऊ तकनीक है जो न्यूनतम संसाधनों के साथ मछली उत्पादकता को बढाती है। भाकृअनुप-डीसीएफआर चार वर्षों से आरएएस विकास पर काम कर रहा है, जो लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सफल सुविधाएं स्थापित कर रहा है। प्रशिक्षण का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में आरएएस के वैज्ञानिक कार्यान्वयन को सक्षम करना और राष्ट्रीय स्तर पर इसके महत्व पर जोर देना है।

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उद्घाटन सत्र में भाकृअनुप-डीसीएफआर के प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. देबजीत सरमा और डॉ. अमित पांडे ने प्रौद्योगिकी के महत्व और क्षेत्र स्तर पर प्रौद्योगिकी को लागू करने की रणनीतियों के बारे में जानकारी दी।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान, प्रतिभागियों को आरएएस के विभिन्न पहलुओं जैसे आरएएस के विभिन्न डिजाइन और मॉडल, जल गुणवत्ता निगरानी, आरएएस में मानक संचालन प्रक्रिया और जोखिम प्रबंधन, जैव सुरक्षा और आरएएस में बीमारियों के उपचार, फ़ीड प्रबंधन, मांस की गुणवत्ता सुधार की रणनीतियों कृषि और एक्वापोनिक्स के लिए पोषक तत्वों के रूप में आरएएस प्रवाह का उपयोग, जैव-योजना और व्यावहारिक अभ्यास के साथ आरएएस की तकनीकी-वाणिज्यिक व्यवहार्यता से अवगत कराया गया।

प्रशिक्षण में जम्मू-कश्मीर के मत्स्य अधिकारी और तेलंगाना के एक उद्यमी ने भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-शीतजल मत्स्य अनुसंधान निदेशालय, भीमताल)

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