भाकृअनुप-एआईसीआरपी द्वारा फलों के लिए एक्स समूह चर्चा का आयोजन

भाकृअनुप-एआईसीआरपी द्वारा फलों के लिए एक्स समूह चर्चा का आयोजन

फलों पर भाकृअनुप-ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट ने 28 फरवरी से 3 मार्च, 2023 तक अपनी एक्स ग्रुप डिस्कशन का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन, डॉ. आनंद कुमार सिंह, उप महानिदेशक (बागवानी विज्ञान) तथा डॉ. वी.बी. पटेल, सहायक महानिदेशक (एफ एंड पीसी), डॉ. सुधाकर पांडे, सहायक महानिदेशक (एफवीएस और एमपी), प्रो. (डॉ.) संजय कुमार सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएचआर, डॉ. प्रकाश पाटिल, कार्यवाहक परियोजना समन्वयक (फल), डॉ. दिलीप घोष, निदेशक, भाकृअनुप-सीसीआरआई, डॉ. आर. सेल्वराजन, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीबी, डॉ. कौशिक बनर्जी, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीजी, डॉ. विकास दास, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीएल, डॉ. टी. दामोदरन, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएसएच, डॉ. जगदीश राणे, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएएच, भाकृअनुप के विशेष आमंत्रित सदस्य - डॉ. एम.आर. दिनेश, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएचआर, और डॉ. पी. पद्मनाभन, पूर्व निदेशक (कार्यवाहक), भाकृअनुप-एनआरसीबी की उपस्थिति में किया।

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मुख्य अतिथि, डॉ. आनंद कुमार सिंह, उप महानिदेशक (बागवानी विज्ञान), भाकृअनुप ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि क्या बागवानी में उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि, उत्पादन की बढ़ी हुई लागत और उत्पाद की सुरक्षा की कोई तुलना है। उन्होंने लैंगिक समावेशिता के लिए कार्यक्रमों के पुनर्विन्यास और मृदा स्वास्थ्य में गिरावट और सिट्रस के गिरावट जैसे मुद्दों पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए अब सुरक्षा मानकों को पूरा करने की जरूरत है।

उद्घाटन सत्र के दौरान डॉ. प्रकाश पाटिल, परियोजना समन्वयक (फल) ने रिपोर्ट की अवधि (2021-2022) के लिए परियोजना की उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। विशिष्ट अतिथि, डॉ. वी.बी. पटेल ने परियोजना के उत्कृष्ट कार्य की प्रशंसा की और जर्मप्लाज्म के समय पर पंजीकरण और बढ़ते प्रकाशनों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने पीक क्रॉप सीजन के दौरान क्षेत्र फसल दिनों के माध्यम से प्रौद्योगिकी का प्रसार करने का सुझाव दिया। अन्य सम्मानित अतिथि में शामिल, डॉ. सुधाकर पाण्डेय ने फलों फसलों में विल्ट रोग परिसर की ओर ध्यान आकर्षित किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में, प्रो. (डॉ.) संजय कुमार सिंह ने, सभी से, नेशनल एक्टिव जर्मप्लाज्म सिट्स के तहत जर्मप्लाज्म के रखरखाव के लिए वित्त और मानव संसाधन के संदर्भ में अधिक समर्थन का आह्वान किया। उन्होंने मृदा जनित समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए स्वच्छ रोपण सामग्री के उत्पादन तथा सख्त पौध संगरोध को भी प्राथमिकता दी।

इस चार दिवसीय विचार-विमर्श में छह फसल उत्पादन तकनीकों और पांच फसल सुरक्षा तकनीकों की सिफारिश की गई। फसल सुधार में दो नए एमएलटी, फसल उत्पादन में तीन और लीफ स्पॉट रोग के लिए केले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित निर्णय समर्थन प्रणाली की भी योजना बनाई। इस कार्यक्रम में देश भर से 49 केन्द्रों के लगभग 180 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें दक्षिणी राज्यों के किसान भी शामिल थे। डॉ. प्रकाश पाटिल, परियोजना समन्वयक (फल) अभिनय ने इस कार्यक्रम का आयोजन; डॉ. एस. प्रिया देवी, प्रधान वैज्ञानिक; डॉ. श्रीधर गौतम, वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा परियोजना समन्वय इकाई के कर्मचारियों के सहयोग प्राप्त हुआ।

(स्रोत: परियोजना समन्वयक (फल), फलों पर भाकृअनुप-एआईसीआरपी, भाकृअनुप-आईआईएचआर, बेंगलुरु, कर्नाटक)

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