13, अगस्त, 2025, लखनऊ
भाकृअनुप–राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएफजीआर), लखनऊ तथा उत्तर प्रदेश राज्य जैवविविधता बोर्ड द्वारा वित्तपोषित “भावी पीढ़ियों हेतु मत्स्य विविधता संरक्षण” विषय पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन आज लखनऊ में किया गया।
मुख्य अतिथि के रूप में, श्री बी. प्रभाकर, आईएफ़एस, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (मॉनिटरिंग एवं वर्किंग प्लान) एवं सचिव, उत्तर प्रदेश राज्य जैवविविधता बोर्ड तथा अतिथि के रूप में डॉ. एस.डी. सिंह, पूर्व उपमहानिदेशक (इनलैंड फिशरीज), भाकृअनुप; डॉ. आई.जे. सिंह, पूर्व अधिष्ठाता, जी.बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय; डॉ. के.डी. जोशी, संस्थान के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक उपस्थित रहे।
श्री प्रभाकर द्वारा “भावी पीढ़ियों हेतु मत्स्य विविधता संरक्षण” स्मारिका का लोकार्पण किया गया। उन्होंने अपने प्रोत्साहन पूर्ण शब्दों में कहा कि भारत जैसे जैवविविधता सम्पन्न देश के लिए मत्स्य आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण केवल वैज्ञानिक आवश्यकता नहीं, बल्कि एक सामाजिक दायित्व है।
डॉ. काजल चक्रवर्ती, निदेशक, एनबीएफजीआर ने अपने संबोधन में भारत के जलीय आनुवंशिक संसाधनों की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने उपस्थित वैज्ञानिकों, मत्स्य कृषकों और समुदाय प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे संरक्षण के प्रयासों को और तेज़ करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी उतनी ही समृद्ध और विविध जलीय संपदा प्राप्त हो सके जितनी कि आज है।
कार्यशाला में राज्य “मछली” पहल, सामुदायिक आधारित मत्स्यपालन मॉडल, तथा किसानों और महिला समूहों की भागीदारी के साथ-साथ कार्यशाला की निम्नलिखित सिफारिशों : पहुंच-लाभ साझा करने के लिए ग्राम स्तर पर जैव विविधता दिशानिर्देश; पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता के नुकसान को रोकने और संरक्षण प्रयासों को तेज करने के लिए नीतियों को लागू करने ; किसानों की आजीविका बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकियों का प्रसार; किसानों को शामिल करते हुए विकसित कृषि संकल्प अभियान के अनुरूप इस तरह के और कार्यक्रम आयोजित किये जाने पर विचार-विमर्श किया गया।
कार्यशाला का समन्वयन, डॉ. काजल चक्रवर्ती, एवं सह-समन्वयन, डॉ. राजीव कुमार सिंह, प्रभागाध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक तथा डॉ. सोमेश गुप्ता, तकनीकी अधिकारी, उत्तर प्रदेश राज्य जैवविविधता बोर्ड द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
उत्तर प्रदेश राज्य के 50 से अधिक मत्स्य कृषकों, ग्राम प्रधानों, बी.एम.सी. सदस्यों एवं अन्य हितधारकों ने सक्रिय रूप से इस कार्यक्रम में भाग लेकर संस्थान के वैज्ञानिकों से प्रत्यक्ष संवाद किया।
(भाकृअनुप–राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो,लखनऊ)
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