12 दिसंबर, 2023, मुंबई
भाकृअनुप-नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज (एनबीएफजीआर), लखनऊ ने आज यहां कई कार्यक्रमों के साथ अपने स्थापना दिवस की 40वीं वर्षगांठ (रूबी जयंती) मनाई, जिसने जलीय आनुवंशिक जैव विविधता संरक्षण तथा टिकाऊ प्रबंधन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
दिनभर चलने वाले उत्सव की शुरुआत लाइव जर्मप्लाज्म रिसोर्स सेंटर में मछली के बीज जारी करने और वृक्षारोपण के साथ की गई, जो पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण के लिए संगठन के समर्पण का प्रतीक है।
मुख्य अतिथि, डॉ. शिव प्रसाद किमोथी, सदस्य (पशु एवं मत्स्य विज्ञान), एएसआरबी ने मछली आनुवंशिक संसाधनों में वर्तमान चुनौतियों और भविष्य की दिशाओं पर अंतर्दृष्टि साझा की।
डॉ. सुधीर रायजादा, पूर्व सहायक महानिदेशक, भाकृअनुप; डॉ. ए.पी. शर्मा, पूर्व निदेशक, सीफरी, डॉ. आर. विश्वनाथन, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएसआर; डॉ. टी. दामोदरन, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएसएच सम्मानित अतिथि थे।
डॉ. केंटन एल. मॉर्गन, महामारी विज्ञान के पूर्व एमेरिटस प्रोफेसर, लिवरपूल विश्वविद्यालय, यू.के. ने एक विशेष व्याख्यान दिया।
भाकृअनुप-एनबीएफजीआर के निदेशक, डॉ. यू.के. सरकार ने “मत्स्य आनुवंशिक संसाधन, संरक्षण, विकास तथा प्रबंधन में 40 सालों की उत्कृष्टता एवं खोजः एक परिवर्तनकारी क्रियाकलाप, प्रयास तथा विगत वर्षों में उपलब्धि का प्रदर्शन” विषय को सबके सामने रखा।
एक ओपन हाउस डे (स्कूली छात्रों के लिए संस्थान की अत्याधुनिक सुविधाओं को देखने की निःशुल्क सुविधा) भी आयोजित किया गया।
500 से अधिक आगंतुकों को भारत की समृद्ध जलीय जैव विविधता के बारे में जानकारी प्राप्त करते हुए, राष्ट्रीय मछली संग्रहालय-सह-भंडार और गंगा एक्वेरियम का पता लगाने का अवसर मिला।
कार्यक्रम में कृषि नवाचारों, मछली पालन के माध्यम से सामुदायिक जुड़ाव और जलीय आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन एवं प्रशिक्षण पर ध्यान केन्द्रित करने वाले इंटरैक्टिव सत्र भी शामिल थे, जो ज्ञान प्रसार तथा हितधारक की भागीदारी से संबन्धित ब्यूरो के पकड़ को दर्शाता है।
(स्रोत: भाकृअनुप-नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज, लखनऊ)
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