21 मार्च, 2024, मुंबई
भाकृअनुप-केन्द्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सिरकॉट), मुंबई ने मैसर्स रेलिगेयर एग्रो लाइफ बायो साइंस प्राइवेट लिमिटेड अहमदनगर (एमएच) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर आज हस्ताक्षर किए।
समझौता ज्ञापन पर भाकृअनुप- सिरकॉट के निदेशक, डॉ. एस.के. शुक्ला और श्री जी.टी गाडेकर, निदेशक, मेसर्स. रेलेगारे एग्रो लाइफ बायो साइंस प्राइवेट लिमिटेड ने कृषि अपशिष्टों के इन-सीटू निपटारे के लिए माइक्रोबियल इनोकुलम के विकास हेतु संबंधित संगठनों की ओर से हस्ताक्षर किया।
श्री जी.टी. गाडेकर, निदेशक, मेसर्स. रेलेगारे एग्रो लाइफ बायो साइंस प्राइवेट लिमिटेड बेहतर कोशिका गणना के साथ लाभकारी रोगाणुओं से गुणवत्ता वाले जैव-कीटनाशकों, जैव-उर्वरक और जैव-कवकनाशी के उत्पादन में लगी हुई है। उनके पास अच्छी विनिर्माण प्रक्रियाओं और 100% जैविक उत्पादों के उत्पादन के लिए यूरो-ग्लोबल सर्टिफिकेशन (यूएस) है। वे फसलों और जलवायु परिवर्तन पर विभिन्न कीटों और बीमारियों से निपटने के लिए ग्राहकों की आवश्यकताओं के जवाब में नवीन तरीकों और प्रथाओं के लिए नैनो तकनीक का उपयोग करते हैं।
माइक्रोबियल इनोकुलम खेत की परिस्थितियों में कृषि अवशेषों (जैसे- कटाई के बाद गन्ने की पत्तियां) के तेजी से क्षरण को बढ़ावा दे सकता है। माइक्रोबियल और जैविक इनपुट के उपयोग से उर्वरकों का संतुलित उपयोग हो सकता है और कृषि में उपयोग किए जाने वाले असंतुलित उर्वरकों/ रसायनों के कारण पौधों और मिट्टी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सकता है।
डॉ. एस. श्रीनिवासन, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-सिरकॉट, और डॉ. ए.जे. शेख, पूर्व निदेशक, प्रमुख, प्रभाग और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तक इस अवसर पर उपस्थित थे।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मुंबई)
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