22 नवंबर, 2023, गोवा
गोवा के माननीय राज्यपाल श्री. पी.एस. श्रीधरन पिल्लई ने 22 नवंबर, 2023 को "अनुकूल उत्पादन प्रणालियों तथा आजीविका सुरक्षा के लिए जलवायु स्मार्ट कृषि विज्ञान" पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। संगोष्ठी का आयोजन भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा और भारतीय कृषि विज्ञान सोसायटी द्वारा संयुक्त रूप से 22- 24 नवंबर, 2023 सेंट जोसेफ वाज़ आध्यात्मिक नवीकरण केंद्र, ओल्ड गोवा, गोवा में किया गया।
श्री पिल्लई ने जलवायु परिवर्तन के सामने स्थायी खाद्य उत्पादन की वैश्विक चुनौती पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से तटीय कृषि में, जो समुद्र के स्तर में वृद्धि, बाढ़, चक्रवात और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से खतरा है। उन्होंने इन तटीय क्षेत्रों में संपन्न मानव आबादी को स्थायी आजीविका प्रदान करने के लिए अनुसंधान रणनीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया।
उद्घाटन समारोह के दौरान, डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने कहा कि कृषि विज्ञान कृषि के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कृषि को अधिक कुशल, प्रतिस्पर्धी, लाभदायक एवं टिकाऊ बनाते हुए खाद्य और पोषण सुरक्षा प्राप्त करने में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी-संचालित नवाचारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। डॉ. पाठक ने कहा कि प्रौद्योगिकियों के विकास के माध्यम से, भाकृअनुप विकसित भारत की आकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए भोजन, पोषण एवं आजीविका सुरक्षा में "आत्मनिर्भर भारत" के मुहिम को जारी रखने के लिए तैयार है।
डॉ. एस.के. चौधरी, उप-महानिदेशक (एनआरएम), भाकृअनुप ने कहा कि उपयुक्त स्थान-विशिष्ट जलवायु-अनुकूल कृषि प्रथाओं का विकास एवं पहचान कृषि क्षेत्र के लिए जलवायु-स्मार्ट मार्गों पर जाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है, जो जलवायु, भोजन सुरक्षा, गरीबी संबंधी चिंताओं को अल्पावधि में और आजीविका एवं सतत विकास संबंधी चिंताएँ को दीर्घावधि में प्रभावी ढंग से संबोधित कर सकते हैं।
पद्मश्री डॉ. अरविंद कुमार, पूर्व कुलपति रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी; डॉ. ए.के. व्यास, वीसी, कृषि विश्वविद्यालय, कोटा; डॉ. बी.आर. कम्बोज, वीसी, सीसीएस, एचएयू, हरियाणा; डॉ. वी.एम. भाले, वीसी, पीडीकेवी, अकोला तथा डॉ. बी.एस. उद्घाटन समारोह के दौरान इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रोनॉमी के अध्यक्ष महापात्रा भी उपस्थित थे।
संगोष्ठी में भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश तथा भूटान जैसे सार्क ( SAARC) देशों के लगभग 550 प्रतिनिधियों ने शिरकत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा)
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