29 नवंबर, 2023, लखनऊ
इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एक्वेटिक एनिमल एपिडेमियोलॉजी के तत्वावधान में "जलीय पशु महामारी विज्ञान पर तीसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन" का उद्घाटन आज भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ में किया गया।
राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) और जलीय जैव विविधता संरक्षण सोसायटी (एबीसीएस) के सहयोग से भाकृअनुप द्वारा आयोजित यह सम्मेलन, जलीय पशु स्वास्थ्य को समझने और प्रबंधित करने की सामूहिक बढ़त की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।
डॉ. केंटन एल. मॉर्गन, महामारी विज्ञान के पूर्व एमेरिटस प्रोफेसर, लिवरपूल विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम; कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
सम्मानित अतिथि, डॉ. एडगर ब्रून, निदेशक, जलीय पशु स्वास्थ्य और कल्याण विभाग, नॉर्वेजियन पशु चिकित्सा संस्थान, नॉर्वे; डॉ. इद्द्या करुणासागर, सेवानिवृत्त वरिष्ठ मत्स्य पालन अधिकारी, एएमआर और एक्वाकल्चर बायोसिक्योरिटी के लिए एफएओ और एफएओ संदर्भ केन्द्र, निट्टे विश्वविद्यालय, मैंगलोर, इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एक्वाटिक एनिमल एपिडेमियोलॉजी, भाकृअनुप, एनएफडीबी, एबीसीएस के सम्मानित अधिकारी और मत्स्य अनुसंधान संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों के भागीदार, मुख्य वक्ता एवं मुख्य वक्ता, 250 से अधिक प्रतिष्ठित प्रतिनिधि, विभिन्न विभागों के अधिकारी, मछुआरे और मत्स्य पालक किसान एवं शोधकर्ता उद्घाटन समारोह का हिस्सा बने।
डॉ. जे.के. जेना, उप-महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), भाकृअनुप, इस आयोजन के एक्वाएपी III के संयोजक थे।
भाकृअनुप-एनबीएफजीआर के निदेशक तथा सम्मेलन के सह-संयोजक, डॉ. उत्तम कुमार सरकार ने सम्मेलन के महत्व और इस दिशा में भाकृअनुप-एनबीएफजीआर की पहल पर जोर दिया।
इस कार्यक्रम में भाकृअनुप संस्थानों- भाकृअनुप-आईआईएसआर, भाकृअनुप-सिफरी तथा भाकृअनुप-सिफा के निदेशक भी उपस्थित थे।
डॉ. पी.के. प्रधान, प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख, एक्सोटिक्स एवं जलीय पशु स्वास्थ्य प्रभाग, भाकृअनुप-एनबीएफजीआर तथा आयोजन सचिव ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ)
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