जूट एवं संबद्ध रेशों की अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजना पर 35वीं वार्षिक कार्यशाला का आयोजन

जूट एवं संबद्ध रेशों की अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजना पर 35वीं वार्षिक कार्यशाला का आयोजन

22- 23 फरवरी, 2024, बैरकपुर

भाकृअनुप-केन्द्रीय जूट एवं संबद्ध फाइबर अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने 22- 23 फरवरी, 2024 को बैरकपुर में जूट एवं संबद्ध फाइबर पर अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजना की 35वीं वार्षिक कार्यशाला का आयोजन किया।

35th Annual Workshop on All India Network Project of Jute and Allied Fibres  35th Annual Workshop on All India Network Project of Jute and Allied Fibres

मुख्य अतिथि, डॉ. टी.आर. शर्मा, उप-महानिदेशक (फसल विज्ञान), भाकृअनुप ने उपज बाधाओं को तोड़ने, अंतर को पाटने तथा जूट एवं संबद्ध फाइबर के समग्र लाभ के लिए प्रौद्योगिकी उत्पन्न करने हेतु  फसलों से फार्मास्युटिकल, न्यूट्रास्युटिकल और पारिस्थितिकी तंत्र मूल्यों का दोहन करने साथ-साथ अनुसंधान परियोजनाओं को सुव्यवस्थित करने हेतु संस्थान की सराहना की। उन्होंने आगे कहा कि रिबनिंग के लिए उच्च-थ्रूपुट मशीन के साथ-साथ कम लिग्निन कृषि-ड्रोन-आधारित निगरानी और सटीक इनपुट अनुप्रयोग, जूट की खेती में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा। डॉ. शर्मा ने नई किस्मों के लिए शीघ्र परिपक्वता, उच्च उपज, गुणवत्ता, जैविक और अजैविक प्रतिरोध, एन-उत्तरदायित्व तथा आदर्श अंतर फसल के महत्व पर जोर दिया। इससे प्री-ब्रीडिंग, स्पीड ब्रीडिंग तथा जीनोमिक-असिस्टेड ब्रीडिंग से उच्च किस्म के प्रतिस्थापन के लिए वांछनीय लक्षणों के विकास में तेजी आएगी।

35th Annual Workshop on All India Network Project of Jute and Allied Fibres

डॉ. डी.के. यादव, सहायक महानिदेशक (बीज एवं सीसी), भाकृअनुप ने फाइबर, भोजन, ऊर्जा और ईंधन के साथ-साथ पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए जूट एवं संबद्ध फाइबर फसलों की वैश्विक क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जूट निर्यात अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रीय फसलों के बराबर या उनसे बेहतर है, तथा अंतर-राज्य उपज अंतर को पाटने के लिए एआईएनपीजेएएफ से प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।

डॉ. डी.के. यादव, सहायक महानिदेशक (बीज और वाणिज्यिक फसलें) और डॉ. ए.के. जॉली, चेयरमैन और एमडी, जूट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया इस  मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में  उपस्थित रहे।

श्री ए.के. जॉली, भारतीय जूट निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने भाकृअनुप-सीआरआईजेएएफ द्वारा विकसित नई किस्मों तथा प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के बारे में बात की। जूट की खेती में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है, जो कुल जूट क्षेत्र के 15% को कवर करता है।

भाकृअनुप-सीआरआईजेएएफ के निदेशक, डॉ. गौरंगा कर ने जूट फाइबर तथा बीज उत्पादन में भारत की वैश्विक बढ़त पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संस्थान के शोध का उद्देश्य जूट के आयात को निर्यात में बदलना है।

जूट एवं संबद्ध रेशों पर अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजना देश के विभिन्न राज्यों के लिए जूट एवं संबद्ध रेशों की उच्च उपज देने वाली किस्मों के साथ-साथ उनके उपयुक्त उत्पादन और संरक्षण प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जूट एवं संबद्ध रेशों पर एआईएनपी की प्रगति उल्लेखनीय है। अपनी स्थापना के बाद से, इस परियोजना के माध्यम से जूट एवं संबद्ध फाइबर की 90 से अधिक उन्नत किस्में जारी की गई हैं।

संस्थान ने पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, बिहार, मेघालय तथा आंध्र प्रदेश में 4 लाख से अधिक जूट उत्पादकों के बीच चार प्रमुख प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया है।

इस कार्यक्रम में जूट एवं संबद्ध फाइबर फसलों पर काम करने वाले 70 से अधिक वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय जूट एवं संबद्ध फाइबर अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर)

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