केन्द्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा की अध्यक्षता में भाकृअनुप सोसायटी की 95वीं वार्षिक आम बैठक आयोजित

केन्द्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा की अध्यक्षता में भाकृअनुप सोसायटी की 95वीं वार्षिक आम बैठक आयोजित

छोटे किसानों की प्रगति और कृषि में आत्मनिर्भरता हमारा लक्ष्य- श्री मुंडा

28 फरवरी, 2024, नई दिल्ली

भाकृअनुप सोसायटी- 2024 की 95वीं वार्षिक आम बैठक आज एनएएससी कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में आयोजित की गई।

मुख्य अतिथि, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री अर्जुन मुंडा ने मानव जाति के कल्याण के लिए कृषि क्षेत्र को विकसित करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। श्री मुंडा ने राष्ट्र के विकास के लिए स्वस्थ और पौष्टिक भोजन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने किसानों को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाकर भारत को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया, साथ ही कृषक समुदाय को बदलती जलवायु के अनुरूप ढलने और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। मंत्री ने कृषि क्षेत्र में भाकृअनुप के अभिनव दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला, जिसका उद्देश्य देश से भुखमरी एवं कुपोषण को मिटाना है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कृषि की प्रगति मानव समाज के अन्य क्षेत्रों की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।

95th Annual General Meeting of ICAR Society held under the chairmanship of Union Minister Shri Arjun Munda  95th Annual General Meeting of ICAR Society held under the chairmanship of Union Minister Shri Arjun Munda

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (आईसी), डॉ. जितेंद्र सिंह ने हाल के दशकों में कृषि पद्धतियों में महत्वपूर्ण वृद्धि पर प्रकाश डाला, जिसका श्रेय कृषि-स्टार्टअप जैसी पहल को जाता है। इस पहल से युवाओं में जागरूकता बढ़ी है और लोगों की पारंपरिक मानसिकता में बदलाव आया है। उन्होंने कहा कृषि में प्रौद्योगिकी के उपयोग से भविष्य की प्रथाओं में और अधिक वृद्धि होने की उम्मीद है।

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इस अवसर पर बोलते हुए, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, श्री कैलाश चौधरी ने कहा कि यह गर्व की बात है कि आज भारत दूध उत्पादन और विभिन्न दाल के उत्पादन में दुनिया में उच्च् स्थान प्राप्त किया है साथ ही चावल, गेहूं, सब्जियों, फलों और मछली का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। बागवानी उत्पादन ने खाद्यान्न उत्पादन को पीछे छोड़ दिया है और उचित प्रबंधन से देश में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। देशभर में स्थित कुल 731 कृषि विज्ञान केन्द्र कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश सरकार के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री धर्मपाल सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किसान भारत की आर्थिक रीढ़ हैं तथा भारत की जीडीपी को मापने के लिए कृषि सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है। उन्होंने पशुपालकों को निःशुल्क उच्च नस्ल की गाय सीमेंस उपलब्ध कराकर गाय की प्रजाति में सुधार लाने पर जोर दिया।

नागालैंड सरकार के कृषि मंत्री, श्री म्हाथुंग यानथन ने पहाड़ी कृषि पद्धतियों में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 70% आबादी खेती में लगी हुई है, जिसमें से 75% स्थानांतरित कृषि कर रहे हैं। मंत्री ने स्थानांतरित कृषि पर विस्तृत शोध करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

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सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), डॉ. हिमांशु पाठक ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) की पिछले वर्ष की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने 289 जलवायु-अनुकूल तथा 27 जैव-फोर्टिफाइड किस्मों सहित 314 खाद्य अनाज के किस्मों के सफल विमोचन पर प्रकाश डाला। 2023-24 के दौरान बासमती चावल का उत्पादन अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जिसमें 90% किस्म भाकृअनुप द्वारा विकसित चार किस्मों के माध्यम से प्राप्त हुआ है।

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अतिरिक्त सचिव (डेयर) एवं सचिव (भाकृअनुप), श्री संजय गर्ग ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि भारत एक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है, जिसमें 55% कार्यबल कृषि में लगा हुआ है, जो देश की जीडीपी में 17-18% का योगदान देता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने चुनौतियों के समय में इस क्षेत्र को तकनीकी सहायता प्रदान की है। उन्होंने आगे कहा कि बासमती चावल की कुल किस्मों का 90% से अधिक भाकृअनुप द्वारा विकसित किस्मों द्वारा उत्पादित होता है।

बैठक में अतिरिक्त सचिव (डेयर) एवं वित्तीय सलाहकार (भाकृअनुप), सुश्री अलका नांगिया अरोड़ा, भाकृअनुप सोसायटी के सामान्य निकाय के सदस्य, आईसीएआर मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी और भाकृअनुप संस्थानों के निदेशक भी उपस्थित थे।

गणमान्य व्यक्तियों ने भाकृअनुप के प्रकाशन और 22 फसलों की 24 किस्मों का विमोचन किया, जिनमें धान, गेहूं, मक्का, सावन, रागी, सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, चना, अरहर, मसूर, मोठ, जूट, टमाटर, भिंडी, चौलाई, सेम, खीरा, मटर, आलू, मशरूम, अमरूद आदि शामिल है।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय, नई दिल्ली)

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