5 सितंबर, 2023, कोलकाता
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), कोलकाता के निदेशक, डॉ. प्रदीप डे की अध्यक्षता में पूर्वी मेदिनीपुर के बाढ़ग्रस्त गांवों में कृषि वानिकी विकास के लिए नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित परियोजना की तीसरी निगरानी समिति की बैठक का आयोजन आज हाइब्रिड मोड में किया गया।
प्रो. देबब्रत बसु, विस्तार शिक्षा निदेशक, बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय, मोहनपुर ने परियोजना गतिविधियों की सराहना की। उन्होंने उल्लेख किया कि इस तरह की होमस्टेड कृषि वानिकी, विभिन्न स्तरों में विविध फसलों को शामिल करके, इस क्षेत्र की जैव विविधता संरक्षण के साथ-साथ प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करने के लिए एक उत्कृष्ट एवं टिकाऊ मॉडल हो सकता है।
डॉ. डे ने भूमि की स्थिति (उच्च, मध्यम, निम्न) बनाम उत्पादकता और शुद्ध रिटर्न की योजना बनाने और प्रत्येक भू-आकृति के लिए सर्वोत्तम प्रणाली की पहचान करने का सुझाव दिया। उन्होंने पेड़ों के कैनोपी वॉल्यूम माप पर दर्ज आंकड़ों से कार्बन पदचिह्न की गणना करने का भी सुझाव दिया।
श्री पिंकू दास, जिला उप-प्रबंधक, नाबार्ड, पूर्वी मेदिनीपुर ने परियोजना के तहत किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) से जोड़ने की सलाह दी।
त्रिस्तरीय कृषि प्रणाली वानिकी मॉडल (फल पौधे + वन पौधे + सब्जियां/ मसाले) कुल 300 कृषक परिवारों की सक्रिय भागीदारी के साथ विकसित किया गया है।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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