पहाड़ी चावल अनुसंधान समूह की 11वीं वार्षिक बैठक का आयोजन

पहाड़ी चावल अनुसंधान समूह की 11वीं वार्षिक बैठक का आयोजन

23 फरवरी, 2024, हैदराबाद

भाकृअनुप-भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद ने आज वर्चुअल मोड में 11वीं वार्षिक पहाड़ी चावल अनुसंधान समूह बैठक का आयोजन किया।

डॉ. आर.एम. सुंदरम, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईआरआर, हैदराबाद ने हिल कार्यशाला पर प्रारंभिक टिप्पणियों की जानकारी दी। उन्होंने आगे कहा कि 1 के रिका का उपयोग करके एवीटी2 और एवीटी1 परीक्षणों में प्रविष्टियों की जिनोटाइपिंग प्रगति पर है और परिणाम सह-संचालकों के साथ साझा किए जाएंगे।

11th Annual Hill Rice Research Group Meeting  11th Annual Hill Rice Research Group Meeting

डॉ. ए.के. नाइक ने कहा कि पहाड़ी पारिस्थितिकी में काम सूखा और ठंड सहनशीलता, लौह और अल विषाक्तता सहनशीलता आदि पर केन्द्रित होना चाहिए।

डॉ. आर.पी. कौशिक, अध्यक्ष पीएएमसी, पीआई एआईसीआरपीआर (डॉ. ए.एस.वी.एस. स्वामी) ने उत्तर पूर्वी राज्यों के जीनोटाइप के साथ जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के चावल जीनोटाइप के बीच क्रॉस बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

डॉ. एस.के. प्रधान, सहायक महानिदेशक (खाद्य एवं चारा फसलें) भाकृअनुप ने लौह विषाक्तता सहनशीलता, अल विषाक्तता सहनशीलता और ठंड सहनशीलता के लिए उपलब्ध उम्मीदवार जिन पर काम करने पर प्रकाश डाला।

डॉ. टी.आर. शर्मा, उप-महानिदेशक (फसल विज्ञान), भाकृअनुप ने पहाड़ी पारिस्थितिकी के लिए जंगली रिश्तेदार प्रजातियों से नए जीन को पेश करने के लिए पूर्व-प्रजनन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने उच्च उपज, ठंड सहनशीलता, पत्ती और गर्दन विस्फोट प्रतिरोध, जैव-फोर्टिफिकेशन, सूखा सहनशीलता और प्रारंभिक परिपक्वता जैसे कारकों के आधार पर उत्पाद प्रोफाइलिंग का सुझाव दिया। डॉ. शर्मा ने विस्फोट प्रतिरोध के लिए होस्ट डिफरेंशियल या मोनोजेनिक लाइनों का उपयोग करने का भी सुझाव दिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)

×