26 अक्टूबर, 2023, नमक्कल
किसानों, छात्रों और अन्य हितधारकों के लाभ के लिए आज भाकृअनुप-केन्द्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान (सीटीसीआरआई), तिरुवनंतपुरम द्वारा भाकृअनुप-केवीके नामक्कल, तमिलनाडु में पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 पर जागरूकता-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम पीपीवीएफआर प्राधिकरण, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित किया गया था।
डॉ. शैक एन. मीरा निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, हैदराबाद कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कार्यक्रम का उद्घाटन किया और किसानों की कंद फसलों की किस्मों के महत्व और किसानों तथा शोधकर्ताओं के लिए पीपीवीएफआर अधिनियम, 2001 के लाभों पर जोर दिया। डॉ. मीरा ने जैव विविधता से सम्बंधित बैठकों में किसानों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया तथा किसानों एवं अन्य हितधारकों द्वारा पारंपरिक किस्मों के पंजीकरण और संरक्षण के लिए लक्ष्य निर्धारित करने का आग्रह किया।
सम्मानित अतिथि के रूप में, श्री राजगणेश, कानूनी सलाहकार, पीपीवीएफआर प्राधिकरण, नई दिल्ली, डॉ. एम. सेल्वाराजू, डीन, वीसी एंड आरआई, तनुवास, नमक्कल और डॉ. पी.पी. मुरुगन, विस्तार शिक्षा निदेशक, टीएनएयू, कोयंबटूर भी उद्घाटन समारोह में उपस्थित रहे।
श्री राजगणेश ने पीपीवीएफआर अधिनियम, 2001 और अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
भाकृअनुप-सीटीसीआरआई, तिरुवनंतपुरम के निदेशक, डॉ. जी बायजू ने देश में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा को संबोधित करने के लिए कंद फसलों की जलवायु-अनुकूल किस्मों के महत्व एवं सीटीसीआरआई में विविधता सुधार कार्यक्रमों की महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर जोर दिया।
डॉ. के. अंबाशंकर, प्रमुख, भाकृअनुप-सीब, चेन्नई ने पशु तथा मछली के चारे के पोषण के लिए कंद फसलों और उनके व्यवसायीकरण की संभावनाओं पर बात की।
डॉ. के. वेलमुरुगन, प्रोफेसर और प्रमुख, भाकृअनुप-केवीके नामाकल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यक्रम के दौरान कंद फसलों पर तकनीकी प्रकाशन- ‘पीपीवीएफआरए एवं किसानों की किस्मों’ का पंजीकरण तथा इसे तमिल एवं अंग्रेजी भाषाओं में जारी किया गया साथ ही प्रतिभागियों को वितरित भी किया गया।
कार्यक्रम में किसानों, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों, विषय वस्तु विशेषज्ञों, केवीके के परियोजना समन्वयकों, छात्रों एवं अन्य हितधारकों सहित कुल 150 प्रतिभागियों ने शिरकत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान, तिरुवनंतपुरम)
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