1 जून, 2023, बड़वानी, मध्य प्रदेश
भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीबी), तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु तथा जैन इरिगेशन सिस्टम लिमिटेड, जलगाँव, महाराष्ट्र ने संयुक्त रूप से आज बड़वानी, मध्य प्रदेश में "बदलते जलवायु परिदृश्य में केले की खेती" पर एक कार्यशाला का आयोजन, क्षेत्र के किसानों के लिए, नवीनतम एवं अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां से अवगत कराने मकसद से किया। कार्यशाला मुख्य रूप से केले की खेती में रोग प्रबंधन पर केन्द्रित थी क्योंकि इस क्षेत्र में ककड़ी मोज़ेक वायरस (सीएमवी) का हाल ही में उदय देखा गया है।
डॉ. आर. सेल्वराजन निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीबी ने इस बात पर जोर दिया कि हाल ही में सीएमवी के उभरने से क्षेत्र में केले की खेती में उत्पादन में कमी आ रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि किसानों को खेत को खरपतवार मुक्त रखना चाहिए क्योंकि यह वायरस 1200 पौधों की प्रजातियों को संक्रमित कर सकता है, जिसमें कई खरपतवार भी शामिल हैं जो आमतौर पर केले के खेतों में देखे जाते हैं। डॉ. सेल्वराजन ने कहा कि सीएमवी का मुख्य कारण रोग वाहक है जो रोग को एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलाता है इसलिए रोगवाहक को उचित कीटनाशकों का उपयोग करके नियंत्रित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने जोर दिया कि किसानों को वायरस की समस्या को दूर करने के लिए वायरस मुक्त प्रमाणित टीसी पौधों को अपनाना होगा।
डॉ. के.बी. पाटिल, जैन इरिगेशन सिस्टम्स लिमिटेड के उपाध्यक्ष ने हाल ही में सीएमवी के उद्भव तथा इसके प्रबंधन में भाकृअनुप-एनआरसीबी की अनुसंधान पहलों की सराहना की। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के परिदृश्य में लचीली रणनीतियों के महत्व का उल्लेख किया। इसके अलावा, उन्होंने निर्यात एवं पौधों के लिए केले की खेती में हाल ही में प्रॉपिंग स्टिक का उपयोग किए बिना तेज़ हवाओं का सामना करने की पहल के बारे में बताया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र, तिरुचिरापल्ली)
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