अनुसूचित जाति के किसानों के लिए आजीविका के अवसर बढ़ाने पर जागरूकता-सह-इनपुट वितरण कार्यक्रम का आयोजन

अनुसूचित जाति के किसानों के लिए आजीविका के अवसर बढ़ाने पर जागरूकता-सह-इनपुट वितरण कार्यक्रम का आयोजन

5- 6 मार्च, 2025, सोनामुखी

भाकृअनुप-एनबीपीजीआर, नई दिल्ली और भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), कोलकाता के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत डब्ल्यूबीसीएडीसी कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) द्वारा संयुक्त रूप से किसानों के बेहतर पोषण तथा आजीविका सुरक्षा के लिए पौध आनुवंशिक संसाधन संरक्षण पर 2 दिवसीय मेगा जागरूकता-सह-इनपुट वितरण कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। कार्यक्रम का लक्ष्य अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीएसपी) पहल के तहत अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के लाभार्थियों को लक्षित करना था, जिसका उद्देश्य पौधों के आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण एवं पोषण तथा आजीविका कार्यक्रम में सुधार के महत्व पर किसानों को जागरूक करना था।

 

भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता के निदेशक, डॉ. प्रदीप डे ने वर्चुअल माध्यम से किसानों को संबोधित करते हुए उच्च गुणवत्ता वाले नए बीजों के उपयोग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उत्पादकता बढ़ाने तथा आने वाले वर्षों में इसकी स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बेहतर बीजों को अपनाना महत्वपूर्ण है। डॉ. डे ने अंतर को पाटने और हाशिए पर पड़े किसानों को सशक्त बनाने में एससीएसपी कार्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।

श्री सुशांत कुमार महापात्रा, पूर्व संयुक्त निदेशक, बांकुरा, पश्चिम बंगाल सरकार ने सरकार के संरक्षण उपायों के बारे में बताया। 

 

डॉ. डी.आर. पानी, प्रभारी अधिकारी, भाकृअनुप-एनबीपीजीआर क्षेत्रीय स्टेशन, कटक, ओडिशा ने पोषण सुरक्षा प्रदान करने में पौधों के आनुवंशिक संसाधनों के महत्व के बारे में बताया।

डॉ. स्मिता लेनका, मुख्य तकनीकी अधिकारी, भाकृअनुप-एनबीपीजीआर नई दिल्ली ने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया।

विशेषज्ञों ने फसल लचीलापन, पोषण सुरक्षा और स्थायी आजीविका बढ़ाने में विविध पौधों के आनुवंशिक संसाधनों की भूमिका पर जोर दिया। किसानों को उन्नत बीज किस्मों सहित बहुमूल्य जानकारी प्राप्त हुई, साथ ही संरक्षण प्रथाओं पर व्यावहारिक मार्गदर्शन भी मिला।

कार्यक्रम में कुल 200 लाभार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया, साइंटिफिक ज्ञान और व्यावहारिक कौशल प्राप्त कर अपनी विशेषज्ञता को बढ़ाया, साथ ही विभिन्न इनपुट तथा उपकरणों तक पहुँच प्राप्त की। यह पहल वैज्ञानिक ज्ञान और संसाधनों के साथ हाशिए पर पड़े कृषक समुदायों को सशक्त बनाने, पौधों के आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण के माध्यम से खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)

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