4 मार्च, 2025, श्री विजयपुरम
भाकृअनुप-केन्द्रीय द्वीपीय कृषि अनुसंधान संस्थान (भाकृअनुप-सीआईएआरआई) के निदेशक, डॉ. एकनाथ बी. चाकुरकर और दक्षिण अंडमान की युवा उद्यमी, श्रीमती आर. कार्तिका देवी के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया।
किसान-अनुकूल तकनीक विकसित करने के लिए समर्पित भाकृअनुप-सीआईएआरआई, द्वीप एवं मुख्य भूमि दोनों के किसानों के लिए प्रासंगिक नवाचारों पर काम कर रहा है। दालचीनी, स्वाद, दवा और सुगंध उद्योग में इस्तेमाल होने वाला एक मूल्यवान मसाला है, जिसे घरेलू मांग को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है, जो सालाना लगभग 900 करोड़ रुपये है। इस निर्भरता को कम करने के लिए, भारत में दालचीनी की खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। हालाँकि, श्रम-गहन कटाई प्रक्रिया ने कई किसानों को हतोत्साहित किया है।
पारंपरिक कटाई विधि, जिसमें बाहरी छाल को खुरचना, तने को रगड़ना और आंतरिक छाल को सावधानीपूर्वक निकालना शामिल है, जिसके लिए कौशल की आवश्यकता होती है और कटाई की लागत बढ़ जाती है। बाजार में कोई उपयुक्त उपकरण उपलब्ध नहीं हैं जिससे पारंपरिक तरीकों से अक्सर गुणवत्ता में कमी आती है।
इस समस्या को हल करने के लिए, भाकृअनुप-सीआईएआरआई के शोधकर्ता, डॉ. अजीत अरुण वामन और डॉ. पूजा बोहरा ने द्वीप सिनरूब विकसित किया है - यह एक उपयोगकर्ता के अनुकूल दालचीनी की छाल को रगड़ने का उपकरण है जो समय तथा ऊर्जा की बचत करता है। इस उपकरण से तटीय और द्वीपीय राज्यों के मौजूदा दालचीनी उत्पादकों के साथ-साथ उन क्षेत्रों को भी लाभ मिलने की उम्मीद है जहाँ दालचीनी की खेती का विस्तार हो रहा है।
इस तकनीक का लाइसेंस श्रीमती आर. कार्तिका देवी को दिया गया है, जो इस उपकरण का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने और इसे व्यापक रूप से उपलब्ध कराने की योजना बना रही हैं।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय द्वीप कृषि अनुसंधान संस्थान, श्री विजयपुरम)
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