5 मार्च, 2025, हैदराबाद
प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक, डॉ. हिमांशु पाठक ने आज हैदराबाद स्थित अर्द्ध शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (आईसीआरआईएसएटी) के महानिदेशक का पदभार ग्रहण किया। यह भारत का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र है। डॉ. पाठक आईसीआरआईएसएटी में अपने साथ बहुत सारा अनुभव लेकर आए हैं। वे कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) के सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) के महानिदेशक के रूप में कार्य कर चुके हैं।
डॉ. पाठक ने 1986 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बीएससी (कृषि) की पढ़ाई पूरी की और 1988 और 1992 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) से मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान में एमएससी तथा पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनके प्रतिष्ठित करियर में भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक के निदेशक और भाकृअनुप-राष्ट्रीय अजैविक तनाव प्रबंधन संस्थान, बारामती, भारत के निदेशक जैसी भूमिकाएँ शामिल हैं। पाठक ब्रिटेन के एसेक्स विश्वविद्यालय और जर्मनी के मौसम विज्ञान तथा जलवायु अनुसंधान संस्थान में विजिटिंग साइंटिस्ट भी रहे हैं।
आईसीआरआईएसएटी एक प्रमुख शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान है, जो छोटे किसानों के उत्थान और दुनिया भर में अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है। पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका के साथ-साथ पश्चिम तथा मध्य अफ्रीका के कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण वातावरणों में व्यापक रूप से काम करते हुए, आईसीआरआईएसएटी फसल उत्पादकता, लचीलापन और स्थिरता को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है- जो शुष्क भूमि समुदायों की समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। यह दृढ़ प्रतिबद्धता दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण कृषि क्षेत्रों में लाखों लोगों को गहराई से प्रभावित करती है।
पिछले पांच दशकों से भी अधिक समय से, संस्थान ने उन्नत शोध, प्रौद्योगिकी तथा साझेदारी के माध्यम से कृषि समुदायों को सशक्त बनाने के लिए लागत प्रभावी एवं स्केलेबल समाधानों का बीड़ा उठाया है। दुनिया की पहली अरहर की संकर किस्म से लेकर जल्दी पकने वाली मूंगफली से लेकर अफ्रीका के पहले बायोफोर्टिफाइड बाजरा और बहुत कुछ, आईसीआरआईएसएटी की विरासत और अनाज, दालों एवं तिलहन जैसी प्रमुख अर्ध-शुष्क फसलों पर निरंतर ध्यान, किसानों की विविध चुनौतियों का समाधान करता है- जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने से लेकर मिट्टी के स्वास्थ्य, जल प्रबंधन तथा बाजार कनेक्शन को मजबूत करने तक को शामिल करता है।
डॉ. पाठक द्वारा महानिदेशक के रूप में नियुक्ति आईसीआरआईएसएटी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि यह एशिया, अफ्रीका और उससे आगे के सबसे कमजोर लोगों के लिए लचीला, टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणाली का निर्माण जारी रखेगा। उनकी रणनीतिक दृष्टि एवं सिद्ध नेतृत्व से आईसीआरआईएसएटी के मिशन को आगे बढ़ाने और कृषि नवाचार तथा वैश्विक खाद्य सुरक्षा में नए मानक स्थापित करने की उम्मीद है।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय, नई दिल्ली)
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