1 मार्च, 2025, नागालैंड
भाकृअनुप-पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र अनुसंधान परिसर, मेडजीफेमा नागालैंड केन्द्र ने भाकृअनुप-भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईओआर), हैदराबाद के सहयोग से 27 फरवरी से 1 मार्च, 2025 तक “स्थायी तकनीकी हस्तक्षेप के माध्यम से पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र में तिलहन उत्पादन को पुनर्जीवित करने” पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला-सह-क्षेत्र दिवस का आयोजन किया।
मुख्य अतिथि, नागालैंड सरकार के कृषि सलाहकार, श्री म्हथुंग यंथन ने खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय बढ़ाने में तिलहन की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने किसानों से तिलहन की खेती का विस्तार करने तथा पैदावार में सुधार करने का आग्रह किया। उन्होंने किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित करने पर भी प्रकाश डाला और बेहतर बाजार संपर्क की आवश्यकता पर बल दिया। श्री यंथन ने तिलहन उत्पादन को बढ़ाने के लिए, विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में, बेहतर झूम खेती प्रणाली और आगे अनुसंधान का आह्वान किया। उन्होंने सभी हितधारकों से अनुसंधान, प्रदर्शन और परीक्षणों पर सहयोग करने का आग्रह किया।
विशेष अतिथि, असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट के कुलपति, डॉ. बी.सी. डेका ने किसानों की आय बढ़ाने के संभावित साधन के रूप में झूम भूमि के 10% हिस्से को तिलहन उत्पादन में परिवर्तित करने का आग्रह किया। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि राज्य 200- 300 हैक्टर भूमि पर तिलहन की खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन भी शुरू कर सकता है, जिससे दोनों क्षेत्रों को लाभ मिलेगा।
उद्घाटन सत्र में 150 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिसमें विभिन्न विभागों, एटीएमए, केवीके के प्रतिनिधि और दीमापुर, चुमौकेदिमा, निउलैंड और पेरेन जिलों के किसान शामिल रहे। उद्घाटन सत्र के दौरान, प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि से थ्रेशिंग शीट, नैपसेक स्प्रेयर, गार्डन पाइप और बीज जैसे कृषि इनपुट प्राप्त हुआ।
चार तकनीकी सत्रों के साथ-साथ एक फील्ड डे भी आयोजित किया गया, जिसमें भाकृअनुप संस्थानों तथा असम कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने तिलहन उत्पादन, संवर्धन, मूल्य संवर्धन एवं विपणन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
(स्रोत: भाकृअनुप-एनईएच क्षेत्र के लिए अनुसंधान परिसर, मेडजीफेमा नागालैंड)
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