उच्च ऊंचाई वाले बागवानी और पशुधन की आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन पर कार्यशाला का आयोजन

उच्च ऊंचाई वाले बागवानी और पशुधन की आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन पर कार्यशाला का आयोजन

3 मार्च, 2025, दिरांग

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन VI ने अरुणाचल प्रदेश सरकार के कृषि और बागवानी विभागों, केवीके वेस्ट कामेंग और भाकृअनुप-एनआरसी ऑन याक के सहयोग से आज “उच्च ऊंचाई वाले बागवानी और पशुधन की आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन: अवसर और चुनौतियां” पर एक क्षेत्रीय स्तर की कार्यशाला का आयोजन किया। दिरांग में भाकृअनुप-राष्ट्रीय याक अनुसंधान केन्द्र के सभागार में आयोजित कार्यशाला में प्रभावी आपूर्ति श्रृंखला रणनीतियों के माध्यम से उच्च ऊंचाई वाले कृषि तथा पशुधन प्रबंधन की उन्नति का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और हितधारकों को एक साथ लाया गया।

कार्यशाला का उद्देश्य उच्च ऊंचाई वाले बागवानी फसल प्रबंधन और उन्नत किस्मों की संभावनाओं का पता लगाना था, साथ ही वैज्ञानिक आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के माध्यम से पशुधन उत्पादकता को बढ़ाना था। इस कार्यक्रम ने विशेषज्ञों को अभिनव समाधानों पर विचार-विमर्श करने, प्रौद्योगिकी अंतराल पर चर्चा करने तथा उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में किसानों के लिए उत्पादन, मूल्य संवर्धन और बाजार पहुंच को अनुकूलित करने के लिए रणनीति तैयार करने के लिए एक मंच प्रदान किया।

मुख्य अतिथि, कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष, डॉ. संजय कुमार ने अपने मुख्य संबोधन में बाजार-संचालित रणनीतियों, मूल्य संवर्धन और स्थानीय उपज, विशेष रूप से किन्नू के बेहतर प्रसंस्करण के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने हितधारकों से उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री तक पहुँच सुनिश्चित करके, भंडारण तथा बुनियादी ढांचे में सुधार करके और क्षेत्र में ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देकर पारंपरिक कृषि पद्धतियों से आगे बढ़ने का आग्रह किया।

भाकृअनुप-एनआरसी ऑन याक के निदेशक, डॉ. मिहिर सरकार ने उच्च ऊंचाई वाली कृषि के लिए पौध संरक्षण उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया, विशेष रूप से जैविक खेती के संदर्भ में। उन्होंने उच्च ऊंचाई वाले पशुधन क्षेत्रों में सतत उत्पादकता तथा बाजार एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए भाकृअनुप-अटारी, जोन VI के निदेशक, डॉ. जी. कदीरवेल ने उच्च ऊंचाई वाले बागवानी एवं पशुधन में प्रौद्योगिकी अंतर को पाटने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में केवीके को पहचानी गई प्रौद्योगिकियों पर ऑन-फार्म परीक्षण (ओएफटी) आयोजित करना चाहिए ताकि उनकी प्रभावशीलता को प्रमाणित किया जा सके और राज्य विभागों को उपयुक्त हस्तक्षेपों की सिफारिश की जा सके।

डॉ. एम.के. वर्मा, निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान, जम्मू एवं कश्मीर ने उच्च ऊंचाई वाले बागवानी में प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप के महत्व पर प्रकाश डाला तथा उत्पादकता और स्थिरता बढ़ाने में अनुसंधान और नवाचार की भूमिका पर बल दिया।

कार्यशाला के दौरान, प्रख्यात वैज्ञानिकों ने उच्च ऊंचाई वाले फल, सब्जी, मसाले, औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती के साथ-साथ पशुधन प्रबंधन के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान की। चर्चाओं में किसानों के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों पर भी चर्चा की गई, जिसमें विशेषज्ञों ने उत्पादकता और लाभप्रदता में सुधार के लिए व्यावहारिक समाधान सुझाए। कार्यशाला एक दुर्लभ अवसर था जहाँ नीति निर्माताओं, नौकरशाहों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और किसानों ने ज्ञान और अनुभवों का आदान-प्रदान करने के लिए एक साझा मंच साझा किया।

इससे पहले, एएसआरबी के अध्यक्ष, डॉ. संजय कुमार ने थेम्बांग गांव में मोनपा जातीय समूह के पारंपरिक ग्राम ज्ञान बैंक की आधारशिला रखी। 

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन VI, गुवाहाटी)

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