श्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री ने जोर देकर कहा कि, “ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि वानिकी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने में मनरेगा गतिविधियों के सहायता के लिए प्रोटोकॉल विकसित करने की आवश्यकता है। इससे न केवल देश में हरित आवरण का निर्माण होगा; बल्कि, कार्बन अधिकरण में भी मदद मिलेगी"। श्री सिंह आज यहां भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद के दौरे पर थे।
प्रतिभागियों के साथ बातचीत करते हुए, उन्होंने स्वयं सहायता समूहों और किसान उत्पादक संगठनों के लिए कृषि-व्यवसाय प्रबंधन एवं मूल्यवर्धन के महत्व पर प्रकाश डाला।
केंद्रीय मंत्री ने इस अवसर पर "हरित परिसर @भाकृअनुप-एनएएआरएम – एक डोजियर " भी जारी किया।
विशिष्ट अतिथि, डॉ जी नरेंद्र कुमार, आईएएस, महानिदेशक, राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान, हैदराबाद ने अकादमी के साथ प्रशिक्षण के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) करने की इच्छा जाहिर की ताकि विभिन्न हितधारकों, विशेष रूप से, स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को ए-आईडिया इनक्यूबेशन सेंटर के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा सके।
डॉ. चौ. श्रीनिवास राव, निदेशक, भाकृअनुप-नार्म, हैदराबाद ने अपने संबोधन में क्षमता निर्माण और भाकृअनुप में थिंक टैंक की भूमिका में अकादमी की गतिविधियों को रेखांकित किया। डॉ. राव ने खाद्य, चारा और इमारती लकड़ी के क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाने की विभिन्न रणनीतियों पर भी प्रकाश डाला।
इससे पहले, डॉ. जी. वेंकटेश्वरलू, संयुक्त निदेशक, भाकृअनुप-नार्म, हैदराबाद ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद)
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