20 जुलाई, 2022, लखनऊ
भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश द्वारा आज यहां "गन्ना और चीनी क्षेत्र @2025" पर हितधारकों की बैठक का आयोजन किया गया।

मुख्य अतिथि, श्री संजय आर भूसरेड्डी, अतिरिक्त मुख्य सचिव, गन्ना एवं चीनी विकास विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार ने बैठक का उद्घाटन करते हुए कहा कि 2017-2022 की अवधि के दौरान अनुसंधान संस्थानों की गन्ना उत्पादन तकनीक, किसानों की मेहनत एवं चीनी मिलों के प्रबंधन के हस्तक्षेप से किसानों की आय में 1.75 गुना वृद्धि हुई है।

श्री एस.सी. देशमुख, महानिदेशक, वसंतदादा चीनी संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र ने गन्ना एवं चीनी उद्योग के सुधार के लिए सरकार की नीतियों की सराहना की।
डॉ. जी. हेमप्रभा, निदेशक, भाकृअनुप-गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर ने संस्थान द्वारा विकसित गन्ने की किस्मों को रेखांकित किया जो दुनिया भर के देशों में प्रचलित है। उन्होंने जैव-प्रौद्योगिकी के माध्यम से उच्च बायोमास उत्पादन, जलवायु-लचीलापन स्मार्ट किस्मों के लिए प्रजनन रणनीतियों को ठीक करने की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. सुशील सोलोमन, पूर्व कुलपति, सी.एस. आजाद कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर, उत्तर प्रदेश ने भाकृअनुप-आईआईएसआर, लखनऊ द्वारा तैयार किए गए विजन दस्तावेजों को जमीनी स्तर पर लाने के लिए सभी हितधारकों के समन्वित प्रयासों की सराहना की।
प्रो. नरेंद्र मोहन, निदेशक, एनएसआई, कानपुर, उत्तर प्रदेश ने भारतीय चीनी क्षेत्र में परिवर्तन के लिए चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य के निर्धारण एवं इथेनॉल की अन्तरात्मक मूल्य नीति को जिम्मेदार ठहराया।
श्री संजय अवस्थी, अध्यक्ष, शुगर टेक्नोलॉजिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने प्रति यूनिट लागत के संदर्भ में वैश्विक प्रतिस्पर्धा के साथ हरित ऊर्जा उत्पादन में परिवर्तन एवं इसकी आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
श्री आर.के. गंगवार, कार्यकारी निदेशक, मवाना शुगर ने उपज लाभ, विशेष रूप से, उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र की किस्म – सीओ 0238 (Co 0238) के मौद्रिक योगदान के बारे में बताया।
इससे पहले, गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए, डॉ. ए.डी. पाठक, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएसआर, लखनऊ ने संस्थान द्वारा प्राकृतिक खेती, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, नैनो प्रौद्योगिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी, आदि जैसे अग्रणी क्षेत्रों में अनुसंधान कार्य की शुरुआत को रेखांकित किया।
इस बैठक का उद्देश्य, विभिन्न हितधारकों जैसे वैज्ञानिकों, चीनी उद्योग, विकास विभागों, लागत प्रदान करने वाले, गन्ना किसानों और स्वयं सहायता समूहों को, इस क्षेत्र के लिए चिंता के मौजूदा मुद्दों एवं 2025 और उसके बाद की चुनौतियों, पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना था।
बैठक में 300 से अधिक वैज्ञानिक, शोधकर्ता, चीनी उद्योग के अधिकारी, गन्ना विकास विभाग के अधिकारी गन्ना किसान और गैर सरकारी संगठनों, किसान उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूहों के सदस्य शामिल हुए।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश)








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