24 एवं 25 सितम्बर, 2022
भारत में जीनोम अनुसंधान और बागवानी विज्ञान के लिए पथ प्रदर्शन तथा विकास में वैज्ञानिकों की एक टीम ने अनार (सीवी.) की जीनोम अनुक्रमण और गुणसूत्र स्तर की संयोजन पूरी कर ली है।
भाकृअनुप-राष्ट्रीय अनार अनुसंधान केन्द्र, सोलापुर ने भारतीय अनार सीवी. ‘भागवा’ की संदर्भ गुणवत्ता जीनोम संयोजन को, डॉ. ए.के. सिंह, उप महानिदेशक (बागवानी विज्ञान), भाकृअनुप की अध्यक्षता में 24 सितम्बर को प्रेस और मीडिया के लिए जारी किया तथा इसे 25 सितंबर को भाकृअनुप-एनआरसीपी के 18वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक सार्वजनिक कार्यक्रम में जारी किया गया है।
इस ऐतिहासिक शोध में शामिल टीम में, डॉ. एन.वी. सिंह, डॉ. पी. रूपा सौम्या, डॉ. शिल्पा परशुराम, डॉ. पी.जी. पाटिल और डॉ. आर.ए. मराठे भाकृअनुप-एनआरसीपी, सोलापुर, सम्मिलित थे।
भाकृअनुप-एनआरसीपी द्वारा विकसित 'भगवा' की संदर्भ-गुणवत्ता जीनोम संयोजन दुनिया भर में अनार के शोधकर्ताओं के लिए सार्वजनिक रूप से सुलभ जीनोमिक संसाधनों का एक विशाल भंडार है और भारत में अनार सुधार कार्यक्रम को एक बड़ा प्रोत्साहन प्रदान करेगी।
डॉ. ए.के. सिंह ने जोर देकर कहा कि सरकार द्वारा हाल ही में कृषि को नकदी फसलों की ओर ले जाने पर जोर देने के साथ, अनार की इस पूर्ण अनुक्रमण को प्राप्त करना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि उच्च उपज और अच्छी गुणवत्ता वाले रोग प्रतिरोधी फल उच्च शेल्फ लाइफ के साथ किसानों की आय बढ़ाने और इस तरह उनके जीवन में सुधार करने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि अनार अनुमानित 2.5 लाख कृषि परिवारों की आजीविका सुरक्षा का समर्थन करता है, जो ज्यादातर जलवायु और शैक्षिक रूप से चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में हैं। डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि एक अनुमान के अनुसार भारत अपने स्वदेशी उत्पादन का 2-3% निर्यात करता है, जो कि इसकी वास्तविक क्षमता से काफी कम है और उच्च गुणवत्ता वाले फलों के अनुक्रमण और विकास की उपलब्धि के साथ, अनार के लिए भारत का निर्यात मूल्य अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत ही कम समय में कई गुना बढ़ जाएगा।
डॉ. आर.ए. मराठे, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीपी ने कहा कि भारत ने हाल के वर्षों में उत्पादन में वृद्धि की है और वैश्विक उत्पादन में 50% योगदान के साथ अनार उत्पादन में एक विश्व नेता है, भारत की घरेलू क्षमता के साथ-साथ निर्यात क्षमता अभी भी काफी हद तक अप्राप्त है। उन्होंने कहा कि यह जीनोमिक संसाधनों की सीमित उपलब्धता और इस अत्यधिक लाभकारी फसल के बारे में आणविक जानकारी सहित कई कारणों से है। डॉ. मराठे ने कहा कि अनार के पूरे जीनोम का अनुक्रमण बहुत तेज गति से यथा जैविक और अजैविक तनावों के खिलाफ बेहतर किस्मों की उत्पादकता, गुणवत्ता और लचीलेपन में सुधार के लिए अविश्वसनीय रास्ते खोलेगा।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय अनार अनुसंधान केन्द्र, सोलापुर)
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