09 जनवरी, 2023, हिसार
भाकृअनुप-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार ने आज यहां नेशनल सेंटर फॉर वेटरनरी टाइप कल्चर की नेटवर्क परियोजना की बारहवीं वार्षिक समीक्षा बैठक का आयोजन किया।
बैठक की अध्यक्षता, डॉ. बी.एन. त्रिपाठी, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान), भाकृअनुप, नई दिल्ली और सह-अध्यक्ष, डॉ. अशोक कुमार, सहायक महानिदेशक (एएच), भाकृअनुप द्वारा डॉ. ज्योति मिस्री, प्रधान वैज्ञानिक, भाकृअनुप (मुख्यालय) की उपस्थिति में किया गया।
डॉ. भूपेन्द्र नाथ त्रिपाठी, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) ने केन्द्र द्वारा किए गए सराहनीय अनुसंधान कार्य और हाल की उपलब्धियों अर्थात् एलएसडी वैक्सीन, पशु कोरोना वैक्सीन (एंकोवैक्स), डायग्नोस्टिक्स आदि के विकास के लिए एनसीवीटीसी की सराहना की। उन्होंने आग्रह किया रोगाणुओं के जीनोमिक लक्षण वर्णन, उनके उपयोग का मिशन मोड में विकास किया जाए जिससे किसानों, उद्योग और हितधारकों को इस प्रौद्योगिकियों का लाभ हो।
डॉ. अशोक कुमार, सहायक महनिदेशक (एएच), भाकृअनुप ने रोगाणुओं और क्लोनों की आसान, त्वरित और सुरक्षित पहुंच के लिए सभी एकत्रित संस्कृतियों/सूक्ष्म जीवों और क्लोनों के मेटा-डेटा के डिजिटलीकरण पर जोर दिया।
डॉ टी.के. भट्टाचार्य, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीई और परियोजना समन्वयक ने एनसीवीटीसी के अवलोकन, कार्यप्रणाली और नेटवर्क परियोजना की समग्र उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी।
डॉ. ज्योति मिस्री , प्रधान वैज्ञानिक, पशु विज्ञान प्रभाग, भाकृअनुप ने चिन्हित रोगाणुओं को प्राप्त करने के लिए पूरे देश को कवर करने वाले नेटवर्क के फुट-प्रिंट के विस्तार करने पर जोर दिया।
बैठक में 2021-22 की प्रगति की समीक्षा की गई, जिसके दौरान कुल 314 माइक्रोब्स, जिसमें बैक्टीरिया, वायरस और पशु चिकित्सा, रुमेन और डेयरी मूल के बैक्टीरियोफेज को एनसीवीटीसी को रिपॉजिटरी में शामिल किया गया।
बैठक में 2021-22 के दौरान अपनी शोध प्रगति और उपलब्धियों को प्रस्तुत करने वाले - नेटवर्क ऑफ वेटरनरी माइक्रोब्स (7 यूनिट्स), रुमेन माइक्रोब्स (6 यूनिट्स) और डेयरी माइक्रोब्स (3 यूनिट्स) की भागीदार इकाइयों ने उपस्थिति दर्ज कराई।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार)
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