21 जनवरी, 2023, लुधियाना
लुधियाना एक्जीबिशन सेंटर, साहनेवाल में तीसरे इंडिया एग्री प्रोग्रेस एक्सपो - 2023 के हिस्से के रूप में आज "साइलेज उद्योग पर सेमिनार: डेयरी क्षेत्र में एक बदलाव" विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि, डॉ. प्रवीण मलिक, पूर्व आयुक्त (पशुपालन) ने सार्वजनिक-निजी-भागीदारी के महत्व तथा किसानों की आय बढ़ाने के राष्ट्रीय एजेंडे को प्राप्त करने के लिए उन्हें कैसे एक तालमेल मोड में काम किया जाय, इस पर प्रकाश डाला।

पंजाब-एग्रो लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक, डॉ. हरिंदर सिंह ने पिछले दो दशकों से शुरू होने वाले चारा प्रसंस्करण की स्थिति प्रस्तुत की। उन्होंने चारे, साइलेज, टीएमआर, चारा पेलेट, खनिज ब्लॉक आदि जैसे चारे की व्यावसायिक अवधारणाओं को बढ़ाने में निजी चारा उद्योग की भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जो डेयरी फार्मिंग में अन्य विधियों में सबसे प्रमुख एवं नेतृत्वकारी विधि हो सकता है। डॉ. सिंह ने पंजाब में व्यावसायिक साइलेज उद्योग के फायदे और नुकसान के बारे में भी बताया।
तकनीकी सत्र के दौरान, जीएडीवीएएसयू, लुधियाना के विशेषज्ञों ने साइलेज बनाने के विभिन्न पहलुओं और उद्यमिता विकास के रूप में इसके दायरे पर विचार-विमर्श किया। साइलेज बनाने में लगे कुछ सफल किसानों ने भी सेमिनार के दौरान अपने अनुभव साझा किए।
इससे पहले, डॉ. राजबीर सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, लुधियाना ने पशुधन किसानों के अपने पशुओं को खिलाने के तरीकों के प्रति बदलते परिदृश्य के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भूमि की कमी और चारा फसलों के लिए भूमि के कम आवंटन के कारण, इस स्थिति से निपटने के लिए साइलेज बनाने की तकनीक सबसे अच्छा समाधान है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों और उद्योग से संबंधित विभिन्न मुद्दों को शोधकर्ता और नीति निर्माताओं द्वारा उठाया जा सकता है।
प्रदर्शनी में सरकारी अधिकारियों, शोधकर्ताओं, छात्रों, कृषि विज्ञान केन्द्रों के अधिकारियों, मशीन निर्माताओं और पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा जम्मू-कश्मीर के किसानों सहित 5000 से अधिक प्रतिभागियों ने शिरकत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना)








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