5 - 6 फरवरी, 2023
भाकृअनुप-केन्द्रीय अंतर्देशीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने हेमनगर सुंदरबन ड्रीम्स और रोटरी रॉयल भुवनेश्वर के सहयोग से दार्जिलिंग जिले, पश्चिम बंगाल में एससीएसपी और टीएसपी कार्यक्रम के तहत 6 फरवरी, 2023 को पहाड़ी क्षेत्र के 3 अलग-अलग स्थानों पर हितधारक के साथ दो दिवसीय परामर्श तथा सजावटी मछली पालन पर लाइव प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया।
5 फरवरी को सुखिया ब्लॉक में सजावटी मत्स्य पालन पर लाइव प्रदर्शनों का आयोजन किया गया जिसमें 4 गांवों के अनुसूचित जाति समुदाय के 50 लाभार्थियों ने भाग लिया।

डॉ. बी.के. दास, निदेशक, भाकृअनुप-सिफरी ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य सजावटी खेती को एक ग्रामीण कुटीर उद्यम बनाकर ग्रामीण समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाना है।
श्री अंजुल चव्हाण, सदस्य जीटीए, ने पहाड़ी मत्स्य पालन के विकास के लिए भाकृअनुप-सिफरी द्वारा की गई पहल की सराहना की और निष्पादन की प्रक्रिया के दौरान सभी सहायता प्रदान की।

श्री मुस्तफा, समन्वयक, सुंदरमन ड्रीम्स ने गरीब पुरुषों की आजीविका बढ़ाने के लिए इस प्रकार की गतिविधि का समर्थन करने के लिए एनजीओ की भूमिका की जानकारी दी।
यहां, व्यक्तियों को एचडीपीई टैंक और सजावटी मछली, मछली फ़ीड और दवा सहित सामान वितरित किए गए। इस अवसर पर जीटीए के मत्स्य विशेषज्ञ एवं अधिकारी भी उपस्थित थे।
इसी तरह का कार्यक्रम, मिरिक अनुमंडल में अनुसूचित जाति समुदाय के 6 गांवों के 40 हितग्राहियों के लिए मंजू टी एस्टेट की प्रबंधक व सुंदरबन ड्रीम्स के पदाधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया।
28 महिला और 12 पुरुष लाभार्थियों को इनपुट वितरित किए गए। इस प्रकार, प्रशिक्षण और प्रदर्शन इस स्थान पर व्यक्तिगत आधार पर और कुछ लाभार्थियों को उनके बैकयार्ड में किया गया था।
6 फरवरी को शिटोंग खासमहल के 6 गांवों के 30 आदिवासी लाभार्थियों के लिए हितधारक परामर्श-सह-लाइव प्रदर्शन किया गया। लाभार्थियों को सजावटी खेती के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूक किया गया।
इस कार्यक्रम के माध्यम से, श्री कृपाण सरकार तथा श्री राबिन मयूर, सजावटी मछली निर्यातक और आपूर्तिकर्ता-सह-किसान ने अपने अनुभव प्रस्तुत किए। 4 प्रकार की सजावटी मछलियाँ विशेष रूप से जीवित वाहक उदाहरण स्वरूप हितग्राहियों को हैंडहोल्डिंग के रूप में गप्पी, मौली, प्लेटी व स्वोर्डटेल का वितरण किया गया।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए उनके सतत आर्थिक उद्यम के लिए पहाड़ी क्षेत्र में लाभार्थियों को सजावटी मछली पालन प्रदान करने का यह पहला प्रयास था।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय अंतर्देशीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर)








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